प्यारी बहन की चलती ट्रैन मे चुदाई | Bahan ki Train me chudai

Bahan ki Train me chudai | train me chudai | train me chudai story | train me chudai ki kahani | train me chudai kahani | train me chudai video | train me chudai videos | train me chudai sex story | train me chudai stories | train me chudai hindi story | train me chudai sex stories | chalti train me chudai | train me chudai ki kahaniya | train me chudai hindi sex story | train me chudai dekhi | train me chudai ki story |

Bahan ki Train me chudai – स्वीटी मेरी सगी बहन है मुझसे लगभग ८ साल छोटी। मेरा नाम गुड्डू है, उम्र २६ साल। मेरे पिताजी चावल और दाल के थोक व्यापारी थे। उनके गुजर जाने के बाद अब मैं उस काम को देखता हूँ। हम किशनगंज बिहार में रहते हैं। मम्मी की मृत्यु चार साल पहले हीं हो गई थी। घर में स्वीटी के अलावे मेरी दो और बहने हैं, २३ साल की प्रभा और २० साल की विभा।

प्रभा की शादी हाल हीं में हुई है, विभा अभी बी०ए० कर रही है, जबकि स्वीटी बारहवीं पास की है। १८ साल की स्वीटी पढ़ाई में बहुत तेज है और शुरु से ईंजीनियर बनना चाहती थी। मैं भी उसे प्रोत्साहित करता रहता था सो वो इधर-ऊधर कम्पटीशन देते रहती है।

यह कहानी मेरे स्वीटी के बीच हुए चुदाई की शुरूआत की बात आप सब को बताएगी, कैसे और किन हालात में हम दोनों एक दूसरे को चोदने लगे।

पहले मैं अब स्वीटी के बारे में आपको बताऊँ। स्वीटी ५’ की छरहरे बदन की गोरी लड़की है। सुन्दर है, जवान है और खुब जवान है। पढ़ाई के चक्कर में आँखों पर चश्मा लग गया है, फ़िर भी आकर्षक दिखती है और राह चलते लोग एक बार जरूर उसको गौर से देखते हैं हालाँकि वो कभी किसी को लिफ़्ट नहीं देती है। एक साईकिल ले कर वो दिन भर कभी ट्युशन तो कभी कोचिंग में हीं लगी रहती है।

खैर कई सोच-विचार के बाद उसका नाम कोचीन के एक ईंजीनियरींग कौलेज की सूची में आ गया और अब हमें एक सप्ताह के भीतर वहाँ उसका नाम लिखवाना था। करीब ३५०० कि०मी० का सफ़र था, एक दिन और दो रात का। शाम को ५ बजे ट्रेन पर बैठिए तो वो रात, फ़िर दिन और फ़िर रात के बाद अगली सुबह करीब ४ बजे पहुँचिए।

आनन-फ़ानन में किसी तरह हम लोग को एक आर०ए०सी और एक वेटिन्ग का टिकट मिला ट्रेन में, यानी हम दोनों को एक हीं बर्थ था और हम दूसरे टिकट के लिए इंतजार भी नहीं कर सकते थे।

विभा प्रभा के घर गई हुई थी तब, सो सारी तैयारी भी मुझे हीं करानी पड़ी। सच बताउँ तो इसी तैयारी के समय मुझे पता चला कि मेरी सबसे छोटी बहन कितनी मौड और स्मार्ट है। मेरे लिए वो घर पे हमेशा एक बच्ची जैसी ही थी। स्वीटी का सपना सच होने जा रहा था और वो बहुत खुश थी। दो दिन उसने बाजार से सामान खरीदने में लगाए। एक दिन मैं भी साथ था। उस दिन स्वीटी ने जो सामान खरीदे उसी से मुझे अहसास हुआ कि मेरी सबसे छोटी बहन भी जवान हो गई है।

ऐसा नहीं है कि मैं भोला-भाला हूँ, इस उम्र तक मैं ७-८ लड़की को चोद चुका था। कुछ दोस्त थी, और २ कौल-गर्ल…। पर घर पर बहनों पर कभी ऐसी नजर नहीं डाली थी। कभी सोचा भी नहीं कि बाकी की दुनिया मेरी बहनों के नाम पर मूठ भी मारती होगी। मैंने हमेशा अपनी बहनों को सती-सावित्री हीं माना था।

आज की खरीदारी के साथ हीं मैंने अपनी बहन को अब एक मर्द की नजर से देखा तो लगा कि यार यह तो अब पूरा माल हो गई है, १८ साल की उमर, और सही उभारों के साथ एक ऐसा बदन जो किसी भी मर्द को अपना दीवाना बना सकता था। उसकी उस रोज की खरीदारी में लिपिस्टीक, काजल जैसे हल्के मेकअप के सामान के साथ सैनिटरी नैपकिंस और अंडरगार्मेन्ट्स भी था।

मैंने स्वीटी को पहले वैसे कुछ मेकअप करते देखा नहीं था, पर अब जब उसका सच सच होने जा रहा था तो अब शायद वो भी एक लड़की की तरह जीना चाहती थी, पहले वो एक पढ़ाकू लड़की की तरह जीती थी। उसी दिन उसने तीन सेट ब्रा-पैन्टी भी खरीदी जौकी की दूकान से। ८० साईज की लाल, गुलाबी और नीली ब्रा और फ़िर उसी से मौच करता हुआ पैंटी भी।

इसके अलावे उसने एक पैकेट स्ट्रींग बीकनी स्टाईल की पैन्टी खरीदी, जिसमें लाल, काली और भूरी ३ पैंटी थी। मुझे तो पता भी नहीं था कि पैंटी की भी इतनी स्टाईल हमारे किशनगंज जैसे शहर में मिलती है। घर लौटते हुए रास्ते में स्वीटी ने वीट हेयर-रिमुवर क्रीम की दो पैक लीं। मैंने टोका भी कि दो एक साथ क्या करोगी, तो उसने कहा कि एक तो यहीं खोल कर युज कर लेगी और बाकि विभा के लिए छोड़ देगी और नया पैक साथ ले जाएगी।

अगली शाम हमें ट्रेन पकड़ना था, और मैं दुकान की जिम्मेदारी स्टाफ़ को समझा चुका था। मैं अपना पैकिंग कर चुका था और बैंक के काम से निकलने वाला था कि स्वीटी आई और मेरे शेविंग किट के बारे में पूछी। मैं एक-दो दिन छोड़ कर शेव करता था सो मैंने किट को सामान में पैक कर दिया था।

मैंने झल्लाते हुए पूछा कि वो उसका क्या करेगी, तो बड़ी मासूमियत से स्वीटी ने अपने हाथ ऊपर करके अपने काँख के बाल दिखाए कि यही साफ़ करना है रेजर से। वो एक स्लीवलेस कुर्ती पहने हुए थी। मेरे कुछ कहने से पहले बोली, “इतना बड़ा हो गया है कि क्रीम से ठीक से साफ़ नहीं होगा, सो रेजर से साफ़ करना है,

फ़िर इतना बड़ा होने हीं नहीं देंगे। दीदी की शादी के समय साफ़ किए थे अतिंम बार, फ़िर पढ़ाई के चक्कर में मौका हीं नहीं मिला इस सब के लिए।” मैंने भी मुस्कुराते हुए अपना शेविंग किट उसे दे दिया।

शाम को जब मैं घर लौटा तो स्वीटी बिल्कुल बदली हुई थी। उसने अपनी भौं भी सेट कराई थी। और मुझे और दिन से ज्यादा गोरी दिख रही थी। मैंने ये कहा भी तो वो बोली, “सब वीट का कमाल है”। तब मुझे पता चला कि उसने अपने हाथ-पैर आदि से बाल साफ़ किए हुए थे। मैंने हँसते हुए कहा, “दिन भर खाली बाल साफ़ की हो न…”।

दिन भर नहीं अभी शाम में दो घन्टे पहले और फ़िर अपने कमरे से एक लपेटा हुआ अखबार ले कर आई और उसको मेरे सामने खोली। उसमें ढ़ेर सारे बाले थे और रूई जिससे वो वीट को पोछी थी। “इतना सब मिल कर काला बनाए हुए था हमको”, वो बोली। मेरी नजर उस अखबार पर थी जहाँ काले-काले खुब सारे बाल थे।

मुझे पता चल गया था कि इन बालों में उसकी झाँट भी शामिल है। वो जिस तरह से अपनी बहादुरी दिखा रही थी, मैंने उसको जाँचने के लिए कहा, “इतना तो बाल तुम्हारे काँख में नहीं दिखा था सुबह जब तुम रेजर लेने आई थी?” वो अब थोड़ा संभली, उसको अब अपनी गलती का अंदाजा हुआ था शायद सो वो बोली, “इतना हिसाब किसी लड़की से नहीं लेना चाहिए भैया” और अपनी आँखें गोल-गोल नचा दी और सब डस्टबीन में डालने चली गई।

अगले दिन हम समय से ट्रेन में बैठ गए। ए०सी टू में हमारा सीट था। पूरी बौगी में साऊथ के टुरिस्ट लोग भरे थे, एक पूरी टीम थी जो गौहाटी, आसाम से आ रही थी। पूरी बौगी में हम दोनों भाई-बहन के अलावे एक और परिवार था जो हिन्दी भाषी था। संयोग की उन लोगों की सीट भी हमारे कंपार्टमेन्ट में हीं थी। चार सीट में नीचे की दो और ऊपर की एक उन लोगों की थी और एक ऊपर की हमारी।

वो लोग सिलिगुड़ी में रहने वाले माड़वाड़ी थे। पति-पत्नी और एक बेटी जो स्वीटी की उमर की हीं थी। हम सब को तब आश्चर्य हुआ जब पता चला कि वो लड़की भी उसी कौलेज में नाम लिखाने जा रही है जहाँ स्वीटी जा रही है। फ़िर तो परिचय और घना हो गया। वैसे भी पूरी बौगी में सिर्फ़ हम हीं थे जो आपस में बात कर सकते थे, बाकि के सब तो अलग दुनिया के लोग लग रहे थे, बोल-चाल, खान-पान, रहन-सहन सब से।

स्वीटी और उस लड़की गुड्डी (एक और संयोग, मैं गुड्डू और वो गुड्डी) में जल्दी हीं दोस्ती हो गई और वो दोनों ऊपर की सीट पर बैठ कर आराम से बातों में खो गई। मैं नीचे उस बुजुर्ग जोड़े के साथ बात करने लगा। ट्रेन समय से खुल गई और करीब ८:३० बजे हम सब खाना खा कर सोने की तैयारी करने लगे।

सफ़र लम्बा था सो उस मड़वाड़ी जोड़े ने अपना कपड़ा बदल लिया था ट्रेन में घुसते हीं। उनकी बेटी भी टायलेट जा कर एक नाईटी पहन कर आ गई तो मैंने भी स्वीटी को कहा की वो भी चेन्ज कर ले।

मैंने अपने जीन्स पैण्ट के नीचे एक हाफ़ पैण्ट पहना हुआ था सो मैंने अपने जीन्स उतार दिए और फ़िर शर्ट भी खोल कर गंजी और हाफ़ पैण्ट में सोने के लिए तैयार हो गया। मैं घर पर भी ऐसे हीं कपड़ों में सोता था। मड़वाड़ी दम्पत्ति अपने-अपने बिस्तर पर लेट चुके थे। बौगी की लाईट लगभग बन्द हीं हो चुकी थी।

सिर्फ़ हमारे कंपार्टमेन्ट में लाईट जली हुई थी। मेरी नजर गुड्डी पर टिकी थी और मैं अपने दिमाग में उसकी फ़ीगर का अंदाजा लगा रहा था। जीन्स-टौप में मैंने उसको देखा हुआ था पहले, अब एक ढ़ीले से नाईटी मे उसको घूर रहा था पीछे से। वो कुछ समान ठीक कर रही थी, और मुझे वो जब नीचे झुकती तो उसकी चुतड़ का आभास हो जाता। वो मेरे बहन से ज्यादा वजन की थी, पर मोटी नहीं थी।

स्वीटी का फ़ीगर इलियाना डिक्रुज की तरह था, जबकि गुड्डी थी सोनाक्षी सिन्हा टाईप। वैसे भी मड़वाड़ी लड़कियों की गाँड़ थोड़ी चौड़ी होती ही है। जब वो ऊपर की बर्थ पर चढ़ने लगी तो उसकी नाईटी काफ़ी ऊपर उठ गई और उसकी गोरी-गोरी जाँघों की एक झलक मुझे मिल गई। मैं सोचने लगा कि अगर उस सीट के नीचे मैं सोया होता जहाँ उसकी माँ सोई थी तो शायद मुझे उसकी पैन्टी भी दिख जाती।

तभी मेरे दिमाग में आया कि आज स्वीटी मेरे साथ सोने वाली है। यह शायद पहला मौका था जब वो मेरे साथ सोती, नहीं तो दो बड़ी बहन के होते उसको तो कभी मेरे साथ सोने का मौका हीं नहीं मिला था।

मैं यही सब सोच रहा था कि स्वीटी आ गई। स्वीटी ज्यादातर नाईट-सूट, पैजामा-शर्ट पहन कर सोती थी, पर आज वो नाईटी पहन कर टायलेट से आई। शायद गुड्डी का असर था। वो अब अपने बैग में अपना सलवार सूट डाला तो मैंने देखा कि उसने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैन्टी भी साथ में भीतर रखा, यानि अभी स्वीटी सिर्फ़ एक नाईटी में थी। ओह भगवान…. मेरे दिमाग ने कहा।

अब हम दोनों भी ऊपर की अपनी सीट पर आ गए। फ़िर मैंने ही तय किया हम अपना सर अलग-अलग साईड में रखें। गुड्डी ने हम दोनों को गुड-नाईट कहा और फ़िर दीवार की साईड करवट ले ली। मेरी जल्दी हीं मुझे लग गया कि स्वीटी वैसे सोने में आराम नहीं महसूस कर रही है। गुड्डी भी यह महसूस कर रही थी। वो ही बोली, “स्वीटी तुम भी भैया की साईड ही सर कर के सो जाओ, वो थोड़ा कमर को झुका लेंगे तो उनके पैर और सर के बीच में ज्यादा जगह हो जाएगा और तुम इतनी लम्बी हो नहीं तो आराम से उस बीच में सो सकोगी।

” उसके पापा तो खर्राटे लेने लगे थे और मम्मी थोड़ा थकी हुई थी सो वो सो चुकी थी। करीब दस बज रहा था तब। स्वीटी भी अब उठी और मेरे सर की तरफ़ सर करके लेटी। उसके उठने के क्रम में उसका नाईटी पूरा ऊपर हो गया और उसकी जाँघ और chut के दर्शन मुझे हो गए। मेरा दिल किया धक्क… और Lund ने एक ठुनकी मार दी। मैं एक दम से साईड मे खिसक गया था जिससे कि स्वीटी को ज्यादा जगह मिल सके सोने के लिए।

जल्दी हीं हम सो गए, थोड़ा थकान भी था और थोड़ा ट्रेन के चलने से होने वाले झुले के मजे की वजह से। करीब १ बजे रात को मुझे पेशाब लगा तो मैं जागा। मैं जब लौट कर आया तो स्वीटी आराम से पूरे सीट पर फ़ैल गई थी। मैंने उसको एक करवट किया और फ़िर उसी करवट हो कर उसके पीछे लेट गया।

मेरी नींद अब गायब हो चुकी थी। पेशाब लगा हुआ था सो Lund में वैसे भी तनाव आया हुआ था। अब यह हालत…मन किया कि एक बार जा कर मूठ मार आउँ कि Lund ढ़ीला हो जाए। पर तभी स्वीटी थोड़ा हिली और उसका चुतड़ मेरे Lund से चिपक गया। मैंने अपने हाथ फ़ैला रखे थे सो वो नींद में ही मेरे बाँह पर अपना सर रख दी और मेरी तरफ़ घुम गई।

उसकी खुले गले की नाईटी से उसकी चूचियों का ऊअपर का हिस्सा अब दिखने लगा था। मेरे लिए अब मुश्किल था सोना, फ़िर भी मैंने उसको बाहों से लपेट कर सोने की कोशीश की। इसके बाद अचानक हीं वो ऊठी कि “आ रहे हैं टायलेट से…” और नीचे चली गई। स्वीटी नीचे उतरी और इसके कुछ समय बाद गुड्डी वापस आ गई, उसने मुझे देखा,

फ़िर धीरे से मेरे कान के पास बोली, “एक लड़की के साथ कैसे सोया जाता है पता नहीं है क्या?” मैं चुप था तो वो ही बोली, “एक बार चिपका लीजिए वो थोड़ी देर में शान्ति से सो जाएगी। नहीं तो उसको नींद आ भी जाए, आपको नींद अब नहीं आएगी तनाव की वजह से।” तभी स्वीटी लौट आई, तो वो “बेस्ट और लक…” बोल कर अपने बर्थ पर चढ़ गई, और स्वीटी अपने बर्थ पर।

मैंने गुड्डी का सब इशारा समझ लिया था पर एक हिचक थी। मैंने सोचा कि एक बार देखते हैं वैसे सो कर, सो मैंने स्वीटी को अपनी तरफ़ घुमा लिया और फ़िर उसके चेहरे को सहलाने लगा। गुड्डी की तरफ़ मेरी पीठ थी। पर मुझे पता था कि वो सब देख रही होगी। यह सब सोच मेरे Lund को और बेचैन किए जा रहा था।

मैं जब स्वीटी की कान के नीचे सहलाया तो वो मेरे से चिपक गई, बहुत जोर से। मेरा खड़ा Lund अब उसकी पेट में चुभ रहा था। स्वीटी हल्के हाथ से मेरे Lund को थोड़ा साईड कर के मेरे से और चिपकी। जब उसने बेहिचक मेरे Lund को अपने हाथ से साईड किया तो मुझे हिम्मत आई।

मैंने धीरे से कहा, “सहलाओ ना उसको, थोड़ी देर में ढ़ीला हो जाएगा… नहीं तो रात भर ऐसे ही चुभता रहेगा तुम्हे, और हमको भी नींद नहीं आएगी।” वो अपना चेहरा उठाई और मेरे होठ से अपने होठ मिला दी, साथ हीं अपना बाँया हाथ मेरे हाफ़ पैन्ट के भीतर घुसा दिया। अगले पल मेरा Lund उसकी मुट्ठी में था। मैं उसको चुम रहा था और वो मेरा Lund हिला रही थी।

गुड्डी के बर्थ से करवट बदलने की आवाज आई तो मैं पीछे देखा, स्वीटी भी अपना सर ऊपर की यह देखने के लिए कि मैंने चुम्बन क्यों रोका। गुड्डी बर्थ पर बैठ गई थी। हम दोनों भाई-बहन को देखते देख उसने हमें एक फ़्लाईग किस दिया। स्वीटी अब सीधा लेट गई। मेरा खड़ा Lund अब उसकी जाँघ से चिपका हुआ था। मैंने अब उपर से उसके होठ चूमे, तो उसने अपने जीभ को मेरे मुँह में घुसा दिया। गुड्डी अब हमारी तरफ़ पीठ घुमा कर लेट गई।

उसने वैसे भी मेरी बहुत मदद कर दी थी। मैं स्वीटी की चुचियों को नाईटी के ऊपर से हीं मसल रहा था और होठ चुम रहा था। उसने मेरे हाथ को अपने जाँघ पर रख कर मुझे सिग्नल दे दिया। फ़िर मैंने उसकी नाईटी उठा दी और उसके जाँघ सहलाने लगा। मक्खन जाँघ था उसका, एक दम ताजा हेयर-रिमुवर से साफ़, चिकना।

बिना कुछ सोचे मैंने अपना हाथ थोड़ा और भीतर घुसा दिया। फ़िर उसके बिना झाँटों वाली चिकनी chut की मुलायमियत को महसूस किया। स्वीटी की आँख बन्द थी। मैं जब ऊँगली से उसकी chut की फ़ाँक सहला रहा था तब वो खुद अपना जाँघ खोल दी और मैंने अपना एक ऊँगली chut की छेद में घुसा दिया।

वो फ़ुस्फ़ुसाते हुए बोली, “एक बार ऊपर आ जाईए न भैया, फ़िर हम दोनों को चैन हो जाएगा और नींद भी आ जाएगी।” चैन वाली बात सही थी, पर मुझे लग रहा था कि स्वीटी कुँवारी है, यहाँ ऐसे सब के बीच किसी कुँवारी लड़की की सील कैसे तोड़ी जा सकती है। मैंने उसके कान में कहा, “ऊपर-ऊपर ही कर लेते हैं, यह सही जगह नहीं है पहली बार तुमको दर्द भी होगा और खून भी निकलेगा थोड़ा सा।

” वो फ़ुस्फ़ुसाई, “ऐसा कुछ नहीं होगा भैया, “सब ठीक है… आप बेफ़िक्र हो कर ऊपर आ जाईए। वो सब दर्द हम पहले ही झेल लिए है।” मैं अब सन्न…. पूछा”कौन…?, कब…?” स्वीटी बुदबुदाते हुए बोली, “वो सब बाद मैं पहले अभी का काम, वैसे भी पूरा बौगी में सब लोग सोया हुआ है, अब तो गुड्डी भी दुसरे करवट है”।

वो खुद हीं अपना नाईटी एकदम से ऊपर कर दी और तब पैर से लेकर चुचियों तक उसका पूरा बदन दिखने लगा था। मैं सोच में था और वो जैसे चुदाई के बिना मरी जा रही हो। उसकी चिकनी मखमली chut अब मेरे आँख के सामने थी। स्वीटी बोली, “अब ऊपर आईए न भैया, बहुत गीला हो गया है, सुरसुरी भी तेज है”। वो रह-रह कर अपना जाँघ भींच रही थी। सच में उसके बदन पर जैसे चुदास चढ़ गया था।

मेरे हाफ़ पैन्ट के भीतर उसने अपना हाथ घुसा दिया और Lund पकड़ कर अपनी तरफ़ खींची। मैं अब सब रिश्ते-नाते भूल गया। जब मुझे लगा कि यह तो पहले से चुदवा रही है, फ़िर क्या फ़िक्र…. तो मैं भी अब सब भूल-भाल कर उसकी टाँगों के बीच बैठ गया। स्वीटी अब तेजी से मेरे पैन्ट को कमर से नीचे ससार दी, तो मईने भी उसको थोड़ा और नीचे अपने घुटने के पास कर दिया।

मेरा ७” का जवान काला Lund सामने एक जवान लड़की की गोरी भक्क chut देख कर पूरा ठनक गया था। स्वीटी आराम से अपने पैरों को मेरे कमर से चारों तरफ़ लपेट दी। इस तरह से उसका जाँघ अब पूरा खुल गया और मैं देख रहा था कि उसकी chut के भीतर का भाग रस से चमक रहा है। मन तो कर रहा था कि उसकी उस चमकदार chut को चाट कर खा जाऊँ, पर अभी ऐसा समय नहीं था। कहीं कोई जाग जाए तो…।

गोरा बदन, सेव की साईज की चूची, सपाट पेट जो थोड़ा से नीचे की ओर था (स्वीटी दुबली है), एक शानदार गहरी नाभी और उसके नीचे एक गुलाबी फ़ाँक। लड़की की वो चीज, जो हर मर्द को पैदा करती है और फ़िर हर मर्द लड़की की उसी चीज के लिए बेचैन रहता है।

मैंने स्वीटी की गुलाबी फ़ाँक को अपने हाथ से खोला और उसका छोटा सा छेद नजर आया। यही वो छेद है जो मुझे आज अभी असीम आनन्द देने वाला था। मेरे हाथ जैसे हीं उसकी chut से सटे उसकी आँखें बन्द हो गई। मैंने अब अपना थुक अपनी Lund के सुपाड़े पे लगाया और फ़िर बाँए हाथ से अपना Lund पकड़ कर अपने सबसे छोटी बहन के चिकने chut के मुँह से टिका दिया।

फ़िर उसके बदन पर झुकते हुए पूछा, “ठीक है सब…स्वीटी?” वो आँख बन्द किए-किए हीं बोली, “हाँ भैया, अब घुसा दीजिए अपना वाला पूरा मेरे भीतर….दो जिस्म एक जान बन जाईए।” मैंने अब अपने कमर को दबाना शुरु किया, और मेरा Lund मेरी बहन की chut को फ़ैलाते हुई भीतर घुसने लगा। सुपाड़ा के जाने के बाद, उसका बदन हल्के से काँपा और मुँह से आवाज आई, जैसे वो गले और नाक दोनों से निकली हो…”आआआह्ह्ह”।

मैंने अब एक झटका दिया अपनी कमर को और पूरा ७” भीतर पेल दिया। स्वीटी के मुँह से एक कराह निकली जिसे उसने होठ भींच कर आवाज को भीतर हीं रोकने की कोशिश की, पर फ़िर भी जब जवान लड़की जब चुदेगी तो कुछ तो आवाज करेगी…सो थोड़ा घुटा हुआ सा आवाज हो हीं गया। इतना कि सामने के बर्थ पर हमारी तरह पीठ करके लेटी हुई गुड्डी हमारी तरफ़ पलट जाए। स्वीटी की तो आँख मजे से बन्द थी।

मैं गुड्डी को अपनी तरफ़ मुड़ते देख सकपकाया, पर गुड्डी ने मुझे अपना सर हिला कर इशारा किया कि मैं चालू रहूँ। मैंने अपने दोनों हाथों से स्वीटी के दोनों कंधों को जकड़ लिया था, मेरे जाँघ उसकी दोनों जाँघों में फ़ंस कर उन्हें खोले हुए थे, मेरा Lund उसकी chut के भीतर धँसा हुआ था….और एक अदद जवान लड़की हम दोनों भाई-बहन से करीब ४ फ़ीट की दूरी पर लेटी हम दोनों को घुर रही थी।

यह शानदार सोंच हीं मेरे लिए किसी वियाग्रा से कम न था। मैंने अपने कमर को उपर-नीचे चलाना शुरु किया, यानि अब मैंने अपने बहन की असली वाली चुदाई शुरु कर दिया। स्वीटी के मुँह से कभी ईईस्स्स्स्स तो कभी उउउम्म्म्म्म निकल जाता था। पर अब मुझे कोई फ़िक्र नहीं थी उस माड़वाड़ी दम्पत्ति की….जो हमारे बर्थ के ठीक नीचे सोए थे। वैसे भी मैं अपनी बहन चोद रहा था, किसी को इस बात से क्या फ़र्क पड़ जाता।

मैंने अपने होंठ स्वीटी की होठ से लगा दिया और चुदाई जारी रखी। करीब ७-८ मिनट बाद मेरा छुटने लगा तो मैं थोड़ा रुका और बोला, “मेरा अब निकल जाएगा, मैं बाहर खींच लेता हूँ।” स्वीटी बोली, “ठीक है जैसे हीं निकलने वाला हो बाहर निकाल कर मेरे पेट पर गिरा दीजिएगा।

” इसके बाद मैंने फ़िर से धक्के लगाने शुरु कर दिए और करीब २० बार chut चोदने के बाद Lund खींच कर बाहर कर दिया कि तभी लन्द से पिचकारी छूटी और मेरा सब वीर्य उसके पेट छाती सब से होते हुए होठों के करीब तक चला गया। दूसरी बार पिचकारी छुटने से पहले मैंने Lund के दिखा को ठीक किया जिससे बाकी का सब वीर्य स्वीटी के गहर पेट पर गिरा।

गुड्डी अब नीचे उतरी एक रुमाल बैग से निकाल कर हम लोगों को दिया जिससे हम अपना बदन साफ़ कर सकें। फ़िर वो बोली, “अब एक बार मुझे भी चाहिए यह मजा…मेरे बर्थ पर आ जाओ”। मैं अब सही में घबड़ाया और नीचे उसके मम्मी-पापा की तरफ़ देखा। वो बोली, “कोई डर की बात नहीं है मैं हूँ ना… अभी डेढ़ बजा है, दो बजे तक मुझे भी कर दो फ़िर ३-४ घन्टे हम सब सो लेंगे।”

मैं अभी भी चुप था, तो वो स्वीटी से बोली, “तुम मेरे बर्थ पर चली जाओ सोने, मैं ही इसके साथ तुम्हारे बर्थ पर आ जाती हूँ, अब अगर मम्मी-पापा जाग भी गए तो वो मुझे दोष देंगे न कि तुम्हारे इस डरपोक भाई को” और वो सच में मेरे बर्थ पर चढ़ गई। स्वीटी चुपचाप अपनी पैन्टी अपने हाथ में ले कर उतर गई। अब मैं समझा कि यह लड़की क्यों मुझे और स्वीटी को इतना हिम्मत दे रही थी।

जो अपने माँ-बाप के मौजूदगी में ऐसे एक लड़के से चुदने को तैयार हो वो क्या चीज होगी। मेरा Lund अपना पानी निकाल कर अब थोड़ा शान्त हो रहा था, जिसको वो बिना हिचक अपने मुँह में ले कर चुसने लगी और एक मिनट भी न लगा होगा कि मेरा Lund फ़िर से इतना टाईट हो गया था कि एक बार फ़िर किसी टाईट chut की सील भी तोड़ सके। गुड्डी अब पलट गई और कुतिया वाला पोज बना ली।

फ़िर अपना नाईटी कमर तक उठा ली और तब उसका इरादा समझ मैं उसकी पैन्टी को खोलने लगा। बहुत ही मुलायम पैन्टी थी उसकी। मैंने उसके chut की फ़ाँकों को अपने हाथों से खोला और पीछे से chut मे Lund पेल दिया। वो अब अपना सर नीचे करके सीट से टिका ली और मुझसे चुदाने लगी। लाख प्रयास के बाद भी एक दो बार थप-थप की आवाज हो ही जाती जब मेरा बदन उसके माँसल चुतड़ से टकराता। तभी उसकी मम्मी ने करवट बदली… और मैं शान्त हो गया।

वो अब मुझे हटा कर सीधा लेट गई और अपने पैर को घुटनों से मोड़ कर अपना जाँघ खोल दिया। उसकी chut पर बाल थे, करीब आधा ईंच के, शायद वो १५-२० दिन पहले झाँट साफ़ की थी। उसके इशारे पर मैं अब फ़िर ऊपर से उसकी चुदाई करने लगा। फ़च-फ़च…फ़च-फ़च की आवाज हो रही थी।

तुलना करूं तो स्वीटी के ज्यादा खुला हुआ और ज्यादा फ़ूला हुआ था गुड्डी का chut। करीब १५ मिनट बाद मैं फ़िर से छुटने वाला था, जब मैं बोला, “अब निकलेगा मेरा…”, वो बोली, “कोई बात नहीं अभी कल हीं मेरा पीरियड खत्म हुआ है, अभी सबसे सेफ़ समय है…. मेरे चूत में हीं निकाल लो।” उसकी बात खत्म होते-होते मेरा Lund ठुनकी मारने लगा और तीसरे ठुनकी पर वीर्य की पिचकारी उसकी chut के भीतर हीं छुट गई।

मैं अब थक कर निढाल हो गया था। गुड्डी बोली, “जाओ जा कर अपनी बहन के पास सो जाओ, मैं अब यहीं सो जाऊँगी…” और फ़िर मेरे होठ पर हल्के से चुम्मा लिया, “थैन्क्यु…”। मैं चुपचाप उस बर्थ से नीचे उतर गया। गुड्डी भी अब बिना किसी फ़िक्र के अपना पैन्टी पहन ली, उसके chut से तब भी मेरा वीर्य बाहर की तरफ़ बह रहा था।

मैं अब फ़िर से स्वीटी के पास आ गया था। वो अभी-अभी सीधा लेटी थी, जब मैं बर्थ पर चढ़ रहा था। वो भी मुझसे गुड्डी को चुदाते हुए वैसे हीं देखी थी जैसे गुड्डी देखी थी जब वो अपने भाई से चुदवा रही थी। हम दोनों अब एक-दूसरे से चिपक के सो गए। अब कोई लाज-शर्म-झिझक परेशानी नहीं ही। सवा दो बज रहा था। हम सब को नींद आ गई।

सुबह जब मेरी नींद खुली तब मुझसे पहले हीं वो मड़वाड़ी दमपत्ति ऊठ चुका था। गुड्डी मेरे साथ हीं उठी, मुझे देख कर मुस्कुराई और मेरे नीचे उतरने से पहले हीं उठ कर बाथरूम की तरफ़ चली गई। उसकी मम्मी अपने बाल कंघी कर रही थी, जबकि उसके पापा हमारे बर्थ के सामने वाले बर्थ पर नीचे बैठे थे और हमारी बर्थ की तरफ़ देख रहे थे।

स्वीटी अपने बाँए बाँह को मेरे सीने से लपेते हुए थी। उसके एक पैर मेरे कमर को लपेटे हुए था और वो अभी भी बेसुध सोई थी। इस तरह सोने से उसकी नाईटी उसके आधे जाँघ से भी उपर उठ गई थी और गुड्डी का बाप मेरी बहन की नंगी जाँघों को घुर रहा था। मैंने स्वीटी की पकड़ से अपने को आजाद किया और फ़िर हल्के से उठ कर घड़ी देखा। ६:३० हो चुका था, और डब्बे में हलचल शुरु हो गया था।

मुझे जागा देख कर उस माड़वाड़ी ने मुझे “गुड-मार्निंग” कहा, मैंने भी जवाब देते हुए नीचे उतरा। पेशाब जोरों की लगी हुई थी, सो मैं अपना ब्रश-टौवेल ले कर टायलेट के तरफ़ चला गया। लौट कर आया तब तक स्वीटी भी जाग गई थी, और मुझसे नजर भी नहीं मिला रही थी। मेरा भी यही हाल था।

रात की सारी चुदाई याद आ रही थी। गुड्डी को इस सब से कोई फ़र्क नहीं पड़ा था। वो मुस्कुराते हुए बोली, “रात अच्छी कटी…है न?” मैं कुछ बोलूँ उसके पहले ही उसके पापा ने कहा, “रात कौन कराह रहा था….हल्के हल्के किसी लड़की की आवाज थी…आआह्ह आअह्ह्ह जैसा कुछ…मुझे लगा कि रीमा (गुड्डी की मम्मी) की आवाज है, सो एक बार उसकी तरफ़ घुम कर देखा भी, पर वो तो नींद की गोली ले कर सोई थी। फ़िर मुझे भी नींद आ गई….”।

गुड्डी मुस्कुराते हुए बोली, “अरे नहीं पापा, मुझे भी लगा था आवाज, देखी कि कम जगह की वजह से स्वीटी, भैया से दब जाती थी… तो वही कराहने जैसा आवाज हो जाता था। फ़िर शायद दोनों को एक साथ सोने आ गया तो फ़िर वो लोग शान्ति से सोए रात भर.।” वो साली छिनाल, स्वीटी मेरे नीचे दब कर कराह रही थी कह रही थी, और अपना नहीं सुना रही थी खुद कैसे कुतिया वन कर चुदी और कैसी-कैसी आवाज निकाल रही थी।

रीमा जी भी बोली, “हाँ दो बड़े लोग को एक बर्थ पर सोने में परेशानी तो होती ही है…”। मुझे यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि ये दोनों कैसे माँ-बाप हैं कि बेटी जिस बर्थ पर सोई, उसके सामने वाले बर्थ पर जागी, और वो दोनों हम भाई-बहन की बात कर रहे थे…चूतिये साले।

गुड्डी ने उन सब से नजर बचा कर मुझे आँख मार दी। खैर थोड़ी देर ग्प-शप के बाद हम सब से नाश्ता किया और फ़िर स्वीटी बोली, “सलवार-सूट पहन लेते हैं अब…”, पर उसकी बात गुड्डी ने काट दी, “करना है सलवार-सूट पहन कर.. ऐसे आराम से जब मन तब ऊपर जा कर सो रहेंगे, इतना लम्बा सफ़र बाकि है।” इसके बाद मेरे से नजर मिला कर बोली, “रात में तो फ़िर नाईटी हीं पहनना है, इसमें खुब आराम रहता है, जैसे चाहो वैसे हो जाओ…इस तरह का आरामदायक कपड़ा लड़कों के लिए तो सिर्फ़ लूँगी ही है”, फ़िर मुझसे पूछी, “आप लूँगी नहीं पहनते?” मुझे लगा कि अगर मैं थोड़ी हिम्मत करूँ तो साली बाप के सामने चूदने को तैयार हो जाएगी। मैंने बस हल्के से अपना सर नहीं में हिला दिया।
फ़िर सब इधर-उधर की बात करने लगे।

स्वीटी और गुड्डी एक सीट पर बैठ कर फ़ुस्फ़ुसाते हुए बातें करने लगी, जैसे दो सहेलियाँ करती हैं। करीब ११ बजे दोनों लड़कियाँ सोने के मूड में आ गई….मैं और प्रीतम जी (गुड्डी के पापा) आमने सामने बैठे आपस में राजनीति की बातें कर रहे थे। गुड्डी मेरे सामने वाले बर्थ के ऊपर चढ़ने लगी और स्वीटी प्रीतम जी के सामने वाले बर्थ पर। नाईटी पहन कर ऊपर की बर्थ पर चढ़ना इतना आसान भी नहीं होता, सो वो जब नाईटी ऊपर चढ़ा कर बर्थ पर चढ़ने लगी तो उसकी पैन्टी साफ़ दिखने लगी।

मेरे वीर्य से उसपर एक निशान सा बन गया था। मुझे उसकी पैन्टी को ऐसे घुरते हुए रीमा जी ने देखा तो अपनी बेटी से बोली, “नाईटी नीचे करो ना थोड़ा… बेशर्म की तरह लग रहा है”। मैं समझ गया कि वो क्या कह रही है। मेरा ध्यान अब प्रीतम जी की तरफ़ गया। वो बेचारा मुँह आधा खोले मेरी बहन की तरफ़ देख रहा था। मैंने स्वीटी की तरफ़ सर घुमाया। उसने एक पैर ऊपर की बर्थ पर रख लिया था और एक अभी भी सीढ़ी पर हीं था।

पैन्टी तो नहीं पर उसकी जाँघ पूरी दिख रही थी। मुझे थोड़ा संतोष हुआ… साला मेरे घर के माल का सिर्फ़ जाँघ देखा और मैंने उसके घर की माल की पैन्टी तक देखी। फ़िर ख्याल आया, उसकी मेरे से क्या बराबरी… मैंने तो उसकी बेटी की chut की छेद में अपना माल तक थूका था। साला कहीं मेरे बच्चे का नाना बन गया तो…, मुझे अब अपने ख्याल पर हँसी आ गई। जल्दी हीं दोनों बेसुध सो गईं। करीब ३ घन्टे बाद २ बजे हमने उन दोनों को जगाया, जब खाना खाने की बारी आई। फ़िर सब बैठ कर ताश खेलने लगे।

स्वीटी तो ताश खेलना आता नहीं था सो वो गुड्डी के पास बैठी देख रही थी। उन दोनों लड़कियों के सामने वाले बर्थ पर हम दोनों थे। मैं और रीमा जी पार्टनर थे और गुड्डी और उसके पापा एक साईड थे। मेरे और रीमा जी की टीम घन्टा भर बाद आगे हो गई। अब हम बोर होने लगे थे, सो खेल बन्द करना चाहते थे…

पर गुड्डी की जिद थी कि वो जीतते हुए खेल को बन्द करेगी…सो हम खेल रहे थे। थोड़े समय बाद वो भी बोर हो गई, सो अब आखिरी बाजी फ़ेंटी गई। गुड्डी ने जोश से कहा, “पापा यह अंतिम बाजी हम हीं जीतेंगे….अंत भला तो सब भला…”। फ़िर उसने अजीब काम किया।

अपने पैर ऐसे मोड़ कर बैठ गई कि घुटने के ऊपर छाती के पास जाने से नाईटी के सामने वाला भाग घुटने के सथ ऊपर चला गया और नाईटी के पीछे का भाग उसकी चुतड़ से दबा हुआ सीट के नीचे लटका रह गया। उसकी जाँघ और उन गोरी जाँघों के बीच फ़ँसी हुई हल्के पीले रंग की पैन्टी अब मेरे और उसके पापा के सामने थी। उसकी पैन्टी पर उसकी chut के ठीक सामने मेरे वीर्य से बना एक धब्बा साफ़ दिख रहा था।

मेरा ध्यान अब बँटने लगा था। प्रीतम जी ने भी देखा सब पर अब जवान बेटी से कहें कैसे कि वो गन्दे और बेशर्म तरीके से एक जवान लड़के के सामने बैठी हुई है। पता नहीं वो कैसा महसूस कर रहे ते…पर वो बार-बार देख जरूर रहे थे अपनी बेटी के उस सबसे प्राईवेट अंग को। रीमा जी को तो यह सब पता हीं नहीं चल रहा था, वो बैठी हीं ऐसे कोण पर थीं। अंतिम दो पत्ते हाथ में थे,

और अगर सब ठीक हुआ तो मेरी टीम जीत जाती, पर जब मेरे चाल चलने की बारी आई तो मेरी नजर फ़िर से गुड्डी की पैन्टी की तरफ़ ऊठी और उसने अपने chut से सटे पैन्टी के एलास्टीक के पास ऐसे खुजाया कि वो एलास्टीक एक तरफ़ हो गया और मुझे (और शायद प्रीतम जी को भी) उसकी चूत के साईड में जमे हुए काले-काले झाँटों के दर्शन हो गए।

एक जरा सा और कि मुझे उसकी कोमल chut की फ़ाँक दिख जाती। तभी उसे लग गया कि उसका बाप भी उसकी chut को इस तरह से खुजाते हुए देख रहा है… वो थोड़ा हड़बड़ाई, सकपकाई और जल्दी से अपने पैर नीचे कर लिए। पर मैंने उसको इस शादार अदा का ईनाम दे दिया, एक गलत पत्त फ़ेंक कर…इस तरह से वो प्यारी लड़की जीत गई। करीब ६ बजे मैं जब एक स्टेशन पर नीचे उतरा तो वो भी साथ में उतरी।

स्वीटी फ़िर से ऊपर लेटने चली गई थी। वहाँ स्टेशन पर हम दोनों ने कोल्ड-ड्रीन्क पी। और फ़िर वहीं गुड्डी ने मुझसे सब राज खोला। उसी ने स्वीटी को जब कहा कि आज रात उसके मजे हैं वो पूरी रात जवान मर्द से चिपक कर सोएगी तो स्वीटी उसको बोली थी कि उससे क्या होगा, मेरे भैया हैं वो…कोई और होता तो कितना मजा आता, हिलते हुए ट्रेन में निचले होठ से केला खाते…।

तब गुड्डी ने उसको हिम्मत दिया कि वो इशारा करेगी और फ़िर मौका मिलने से स्वीटी न शर्माए…। दोनों लड़कियाँ यह सब पहले हीं तय कर ली थीं और उसी प्लान से दोनों नाईटी पहनी थी। फ़िर मुझे उकसा कर उसने आखिर मुझे गुड्डी के ऊपर चढ़ा दिया। फ़िर वो बोली, “आज रात में मैं आपके साथ सोऊँगी…फ़िर पता नहीं मौका मिले या ना मिले ट्रेन पर चुदाने का। चलती ट्रेन के हिचकोले और साथ में चूत के भीतर Lund के धक्के एक साथ कमाल का मजा देते हैं।”

मैंने कहा, “और तुम्हारे मम्मी-पापा…?”

वो बोली, “मैं उन्हें नींद की गोली दे दुँगी एक माईल्ड सी…मम्मी तो वैसे हीं लम्बे सफ़र में खा कर हीं सोती है, पापा को किसी तरह दे दुँगी। वैसे भी उनकी नींद गहरी होती है। आज रात भर में कम से कम तीन बार चुदाना है मुझे….”

मैं बोला, “मेरा तो बैण्ड बज जाएगा…”

वो हँसते हुए बोली, “अब बैण्ड बजे या बारात निकले, पर तीन से कम में मैं सब से कह दुँगी की तुम मुझे और अपनी बहन दोनों को चोदे हैं रात में….सोच लो।” वो अब खुल कर हँस रही थी…हाहाहाहा…

मैं उसको डब्बे के तरफ़ ले जाते हुए कहा, “साली बहुत कमीनी चीज हो तुम…पक्का रंडी हो…” और मैं भी हँस दिया।
वो मेरी गाली का जवाब दी, “और तुम हो पक्के रंडीबाज….साले बहिनचोद…”

हम अब फ़िर से अपने सीट पर आ गए थे। इधर-उधर की बातें करते हुए समय कट गया….और फ़िर से करीब ८ बजे खाने के बाद सोने का मूड बनने लगा। दिन भर बातें वातें करके वैसे भी सब थकने लगे थे और कुछ लोग तो लगभग सो गए थे। अंत में गुड्डी ने बड़ी चालाकी एक आधे बोतल पानी में एक गोली घुला दी, फ़िर आदतन जब सोने के पहले प्रीतन जी ने पानी माँगा तो वही पानी देते हुए मुझे आँख मारी…यनि अब सब सेट है।

९:३० बज रहा था और रीमा जी सो चुकी थी। स्वीटी जागी हुई थी, और उसको लग रहा था कि आज भी उसे चुदना होगा सो वो इसी चक्कर में थी कि वो चुद जाए फ़िर सोएगी। वो अब सोने के पहले पेशाब करने के लिए गई, और जब लौटी तो बोली कि चार कम्पार्ट्मेन्ट बाद जा कर देखिए….हमसे भी आगे के लोग है इस ट्रेन में।

मैं और गुड्डी उस तरफ़ चल दिए। वहाँ एक जोड़ा अपनी काम-वासना शान्त करने में लगा हुआ था। नीचे के एक बर्थ पर दोनों कमर से नीचे पूरी तरह से नंगे थे। करीब २४-२५ साल की लड़की के मुँह में शायद उसकी पैन्टी हीं घुसा दी गई थी कि उसके मुँह से ज्यादा आवाज न हो। गूँ-गूँ की आवाज निकल रही थी चूत में लगने वाले हर धक्के के साथ।

सिर्फ़ एक ब्लाऊज था बदन पर। काली दक्षिण भारतीय लड़की थी वो। उसको एक करीब ३० साल का मर्द जो पूरी तरह से नंगा था चोद रहा था। आस-पास में सब सोए थे, या पता नहीं कहीं सोने का नाटक करके उनकी चुदाई देख हीं रहे हों। उस काली लड़की की खुली और चुद रही चूत के भीतर का भाग गजब का लाल दिख रहा था। हमारे देखते देखते उस मर्द ने उसकी चूत के भीतर हीं पानी छोड़ दी और जब उसने अपना Lund बाहर खींचा तो सफ़ेद मलाई चूत से बाहर बह निकला। आब उन दोनों ने हमें देखा और झेंप गए।

लड़की ने जल्दी से साड़ी उठा कर अपना बदन ढ़का और सर नीचे करके बैठ गई। उस लड़के ने बताया कि वो उसकी बीवी है….। गुड्डी ने तुरन्त कहा, “शुभकामनाएँ…अगर यह बीवी न होती तो ज्यादा शुभकामना देती…”। पता नहीं वो क्या समझा, पर हम दोनों वहाँ से हँसते हुए अपने जगह पर चले आए।

स्वीटी पूछी,”देखे…कैसे बेशर्म थे, नीचे की सीट पर यह सब कर रहे थे?” गुड्डी बोली, “ये कौन सी बेशर्मी थी, यह तो कुछ नहीं था….आज मुझे देखना, पूरी रात बिल्कुल नंगी हो कर चुदाऊँगी और पूरा आवाज निकाल-निकाल कर। सब जान लें कि अच्छे से चुद रही हूँ।” स्वीटी बोली, “चलो देखते हैं तुमको भी….

वो लोग तो नीचे हीं बिना किसी से लजाए शुरु हो गये थे, और इसके बाद तुम कौन सा तीर मार लोगी…”। उसने भी स्वीटी का चैलेंज स्वीकार किया और फ़िर वहीं खड़े खड़े अपना नाईटी खोल दिया। अभी हमारे कंपार्टमेंट की बत्ती पूरी तरह से जली हुई थी। उसके मम्मी-पापा वहीं बर्थ पर सोए थे और यह बेशर्म उन दोनों के बीच में अधनंगी खड़ी हो गई। गुलाबी ब्रा और हल्के पीले रंग की पैन्टी में।

५’ २” लम्बी गुड्डी का सफ़ेद बुस्शाक बदन पूरी रोशनी में दमक उठा था। एक संपन्न घर की माड़वाड़ी लड़की थी। पिछली रात को तो कपड़े उतारे नहीं थे मैंने दोनों में से किसी लड़की के सो, अब पहली बार बिना नाईटी के गुड्डी का बदन दमक रहा था। उसने फ़िर अपने बाल की क्लीप खोली और अपने कंधे तक लम्बे बाल अपने चेहरे के दोनों तरफ़ ठीक से फ़ैला लिए।

उसकी काँख में भी बाल थे जैसे उसकी chut पे थे, करीब १५-२० दिन पहले के साफ़ किए गए। बालों को ठीक करते हुए वो अपने गोरी-गोरी काँखों के गढ़्ढ़े में निकले हुए काले घने हल्के से घुंघराले बालों का खूब जम कर दीदार कराई। मुझे डर था कि कहीं उसके माँ-बाप में से कोई जाग न जाए। पर वो आज खुद को बेशर्म साबित करने में लगी हुई थी।

वहीं खड़े खड़े उसने मुझे निमंत्रण दिया, “आ जाओ अब यहीं मैं टेबुल पकड़ कर झुकती हूँ तुम पहले पीछे से चोदो मुझे, यहीं नीचे… स्वीटी को भी पता चले कि उस औरत से ज्यादा गंदी मैं हूँ।” मैं घबड़ा गया और बोली, “हट… कहीं ये लोग जाग गए तो…तुम तो उनकी बेटी हो, मुझे वो कहीं का नहीं छोड़ेगे. यहाँ ऊपर कम से कम कुछ पर्दा तो होगा।” स्वीटी आराम से सब तमाशा देख रही थी।

गुड्डी ने मेरे न का पक्का ईरादा महसूस किया तो हथियार डाले और बोली, “ठीक है, फ़िर पर रात भर में कम-से-कम तीन बार मुझे चुदना है, बहन को आज की रात छोड़ो…उसको तो कभी भी चोद लोगे।” फ़िर उसने अपनी ब्रा-पैन्टी नीचे खड़े-खड़े हीं खोली और अपनी माँ के बर्थ पर डालते हुए कहा, “कैसे हरामी हो कि तुम्हें एक जवान लड़की को तब चोदने का मौका मिल रहा है जब उस लड़की की एक तरह उसकी माँ लेटी है और एक तरफ़ उसके पापा…

फ़िर भी तुम उसे वहाँ नहीं चोदोगे… अपने बेड पर हीं चोदोगे, बेवकूफ़…।” मैंने अब कह दिया, “सब के अलग-अलग संस्कार होते हैं…”। वो अब ऊपर मेरे बर्थ पे चढ़ते हुए बोली, “हाँ बे बहनचोद…तुम्हारा संस्कार मुझे पता है…एक मिनट में बह्न की चूत में अपना Lund घुसा कर उसमें से अपना बच्चा पैदा कर दोगे।

” मुझे बहुत शर्म आई ऐसे उसकी बात सुन कर और स्वीटी तो शर्म से लाल हो गई पर अब हम दोनों के लिए यह बात सौ फ़ीसदी सच थी सो हम दोनों उस बात पर नजर नीची करने के अलावे और क्या कर सकते थे?

मैंने बत्ती बन्द कर दी तो उसने नाईट बल्ब जला लिया और बोली, “कल तो जैसे-तैसे हुआ…आज मुझे बिल्कुल एक दुल्हन जिसे सुहागरात को चुदती है वैसे प्यार से चोदो, पूरी तरह से गरम करके, फ़िर मुझे चोद कर ठण्डा करो” और इसी के साथ वो मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरे होठ चुसने लगी। मेरे पास अब कोई ऊपाय नहीं था सो मैं भी शुरु हो गया।

कुछ समय की चुम्मा-चाटी के बाद मैंने उसको नीचे लिटा लिया और उसकी झाँटों भरी chut पर अपने होठ लगा दिया, और इस बार वो जिस तरह से वो उईई माँ बोली, मैं डर गया। आवाज कम से कम २० फ़ीट गई होगी दोनों तरह…लगभग पूरी बौगी ने सुना होगा (अगर जो कोई जगा हुआ हो तो)। मैंने अपना मुँह हटा लिया, तो उसको समझ में आया, वो बोली “अच्छा अब चाटो, मैं हल्ला नहीं करुँगी…

” सच में इसके बाद वो हल्के-हल्के सिसकी भरने लगी और मैं अब आराम से उसके chut को चाटता हुआ मजे लेने लगा। मेरे दिमाग में था कि यह सब स्वीटी देख रही है…अब अगली बार उसकी chut भी पहले चाटुँगा फ़िर चोदुँगा। क्या वो मुझसे अपना chut चटवाएगी, या शर्म से ना कह देगी? क्या मैं उसके साथ जबरद्स्ती करके उसकी chut चाट पाऊँगा? फ़िर ख्याल आया –

अरे वो तो मुझसे पहले ही किसी और से सेक्स करती रही है, ऐसी जवान और सेक्सी लड़की को कोई वैसी हड़बड़ी में तो चोदा नहीं होगा जैसी कल रात मैंने चोदी… और क्या पता कहीं मेरी बहन Lund भी चूसती हो, अब तो बिना उसके मुँह से सुने कुछ जानना मुश्किल है। गुड्डी अब कसमसाने लगी थी। वो कभी जाँघ भींचती तो कभी कमर ऊठाती। मुझे पता चल गया कि अब यह लैण्डिया चुदास से भर गई है सो मैं उठा और उसकी जाँघो को खोलते हुए उसके टाँगों के बीच में घुटने के बल बैठा।

वो समझ गई कि अब उसकी चुदाई होने वाली है सो वो भी अब शान्त हो कर आने वाले पल का इंतजार करने लगी। मैंने उसके chut की फ़ाँकों को खोल कर उस पर अपना Lund भिरा दिया और फ़िर उसकी काँख के नीचे से अपने दोनों हाथ निकाल कर उसके कँधों को पकड़ लिया फ़िर अपने मांसल जाँघों से उसकी खुली हुई आमंत्रण देती जाँघो को दबा कर एक तरह से ऐसे स्थिर कर दिया कि अब अगर वो कुँवारी होती

और उसकी सील तोड़ी जा रही होती तब भी उसके हिलन सकने की संभवना कम हीं थी। अपनी चुदाई में देर होता देख वो बोली, “ओह, ऐसे सेट करके भी इतना देर…” मैंने अब उसको कहा, “तुम्हीं बोली थी ना कि ऐसे चुदना है जैसे सुहागरात को दुल्हन चुदती है…सो मैंने अब तुमको वैसे हीं जकड़ लिया है जिस तरीके से ज्यादातर दुल्हन की सील टुटती है सुहागरात में।

अब अगर एक झटके में भी लड़की की सील टुटेगी तब भी आँख से चाहे जितना आँसू बहे पर वो बिना अपनी सील टुटवाए निकल नहीं सकेगी मर्द की गिरफ़्त से।” इसके बाद मैंने उसकी chut में Lund पेल दिया….फ़ीच्च… की आवाज हुई और पूरा का पूरा Lund जड़ तक भीतर। गुड्डी भी इस Lund से प्रहार से हल्के से मस्त तरीके से आआअह्ह्ह्ह्ह्ह…. की और फ़िर अपने आँख बन्द कर लिए।

मेरे लिए यह इशारा थ कि अब मैं अपनी चोदन-कला का प्रदर्शन करूँ, सो भी अब शुरु हो गया। मैंने अपनी बहन की तरफ़ देखा, जो आराम से अब रोशनी में मुझे एक जवान लड़की को चोदते हुए देख कर मुस्कुरा रही थी। उसने मुझे एक थम्स-अप दिया और आँख मारी। मैंने अब उसकी चिन्ता छोड़ दी और नीचे पड़ी गुड्डी की चुदाई करने लगा….गच्च गच्च फ़च्च फ़च्च… गच्च गच्च फ़च्च फ़च्च… की आवाज उसकी चुद रही chut से निकल कर माहौल को हसीन बना रही थी, और मैं उसके भूल गया कि जिस बर्थ पर उसको चोद रहा हूँ उसके नीचे उसका सगा बाप सोया हुआ है

और सामने की बर्थ पर उसकी माँ सोई है। बल्कि उसकी मम्मी का चेहरा तो हमारी बर्थ की तरफ़ हीं था और उसकी बेटी भी इस सब से बेफ़िक्र हो कर मस्त हो कर एक अजनबी से ट्रेन में ठीक-ठाक रोशनी में आह आह… ओह ओह.. करके चुदा रही थी। करीब ५० धक्के अपनी chut में लगवाने के बाद गुड्डी बोली, “अब तुम लेटो और मैं तुम्हारी सवारी करती हूँ।” फ़िर मुझे नीचे लिटा कर गुड्डी मेरे ऊपर चढ़ गई और ऊपर से उछल-उछल कर मुझे चोदने लगी।

इसी तरह मेरे Lund से अपनी chut को रगड़ते हुए उसका बदन काँपा तो मैं समझ गया कि अब यह खलास हो रही है, तभी मैं भी झड़ गया, बिना उसको बताए…उसकी chut में मेरे Lund ने भरपूर थुक निकाला, सफ़ेद-सफ़ेद….लसलसा…चिप-चिपा सा मेरा वीर्य उसकी chut को भर दिया। उसे इसका आभास हो गया था, वो मुस्कुराते हुए मेरे ऊपर से हटी और नंगी ही नीचे उतर गई।

नीचे की बर्थ पर एक तरफ़ उसकी माँ सोई थी और दूसरी तरफ़ उसका बाप और वो बेशर्म अपनी chut में मेरा सफ़ेदा लिए बीच में खड़ी थी. उसकी झाँटों पर मेरा सफ़ेदा लिसड़ा हुआ साफ़ दिख रहा था और उसकी chut से पानी उसकी भीतरी जाँघों पर बह रहा था।

उसने आराम से अपनी मम्मी के रुमाल से अपनी chut पोछी और मुझे नीचे आने का इशारा किया। मेरा दिल धक से किया, क्या फ़िर इसको नीचे चुदाने का भूत सवार हो गया। मेरे ना में सिर हिलाने पर उसने गुस्से से मुझे जोर से डाँटते हुए कहा, “नीचे और नहीं तो मैं जोर-जोर से चिल्लाने लगुँगी” और उसने एक बार पुकारा भी “मम्मी,,,मम्मी…”।

प्यारी बहन की चलती ट्रैन मे चुदाई

मेरा तो अब उसका यह ड्रामा देख फ़टने लगा। मैं तोलिया लपेट झट से नीचे आया। स्वीटी यह सब देख कर हँस पड़ी। गुड्डी वहीं नीचे खिड़्की पकड़ कर झुक गई और अपना एक हाथ अपने जाँघों के बीच से निकाल कर अपने chut की फ़ाँक खोल दी। किसी बछिया की chut जैसी दिख रही थी उसके chut की अधखुली फ़ाँक।

मेरे पास अब कोई चारा नहीं था। मेरा Lund एक बार हीं झड़ा था और उसमें अभी भी पूरा कसाव था। मैंने एक नजर उसके खर्राटे लेते बाप के चहरे पर डाली और फ़िर बिना कुछ सोचें उसकी chut में Lund घुसा दिया। एक मीठी आआअह्ह्ह्ह्ह के साथ गुड्डी अपने chut में मेरे Lund को महसूस करके शान्त हो गई। मैं अब हल्के-हल्के उसको चोदने लगा था, कि आवाज कम से कम हो।

गुड्डी भी शान्त हो कर चुद रही थी, हाँ बीच-बीच में वो अपने माँ-बाप की तरफ़ भी देख लेती थी। जल्दी हीं मेरा खून गर्म हो गया और मैंने सही वाले धक्के लगाने शुरु कर दिए। आअह्ह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ओह ओह से शमां बंधने लगा था। जल्द हीं मैं उसकी chut में फ़िर से झड़ गया। वैसे भी किसी लड़की को ऐसे कुतिया के तरह चोदने में मैं जल्दी स्खलित हो जाता हूँ, मुझे ऐसा लगता है।

वो यह समझ गई पर मुझे नहीं रुकने को कहा और फ़िर १५-२० सेकेण्ड बाद वो भी शान्त हो गई। हमदोंनो अलग हुए। गुड्डी ने फ़िर से अपनी मम्मी के रुमाल में अपना chut पोछा और फ़िर उस लिसड़े हुए रुमाल को अपनी मम्मी के पास रख दिया। इसके बाद वो वैसे हीं नंग-धड़ंग टायलेट की तरफ़ बढ़ गई। मुझे भी पेशाब लग गया था, तो मैं भी हिम्मत करके उसके पीछे चल दिया। वैसे भी उस तरफ़ हीं वो जवान जोड़ा था जिसकी चुदाई हमने देखी थी।

मैंने देखा कि वो दोनों अभी भी जगे हुए हैं और मोबाईल पर कोई फ़िल्म देख रहे थे शायद। हम दोनों को ऐसे नंगे देख कर दोनों मुस्कुराए, तो मैं भी मुस्कुराया। टायलेट में पहले गुड्डी हीं गई, पर उसने दरवाजा बन्द नहीं किया और आज पहली बार मैंने एक जवान लड़की को पेशाब करते देखा।

छॊटी बच्चियों को मैं अक्सर देखता था जब भी मौका मिला। बिना नजर हटाए मुझे chut की उस फ़ाँक से निकलती पेशाब की धार को देखते हुए अपने Lund में हमेशा से कसाव्व महसूस होता था। आज मेरे सामने एक जवान लड़की जिसकी chut पर झाँट भी थे, मेरे सामने बैठ कर मूत रही थी, मेरे से नजर मिलाए। मेरा Lund तो जैसे अब फ़ट जाता, कि तभी वो उठी और अपने chut पर हाथ फ़िराया।

उसकी हथेली पर उसके पेशाब के बूँद लग गए थे और उसने अपनी हथेली मेरी तरफ़ बढ़ाया। मैंने भी बिना कुछ सोंचे, उसकी पेशाब की बूँद को उसकी हथेली पर से चाट लिया। उसने मेरे होठ चूम लिए और फ़िर एक तरफ़ हट गई। उसके दिखाते हुए मैंने भी पेशाब किया और फ़िर जब मैं Lund हिला कर पेशाब की आखिरी कुछ बूँद निकाल रहा था गुड्डी झुकी और मेरे Lund को चाट ली। मेरा Lund अब कुछ ढ़ीला हो गया था

और गुड्डी के पीछे-पीछे मैं भी अब वापस अपनी बर्थ की तरफ़ चल पड़ा। जाते हुए जब हमने फ़िर से उस दक्षिण-भारतीय जोड़े को देखा तो हम दंग रह गए। मेरे और गुड्डी को ऐसे डब्बे में घुमते देख उनको भी शायद जोश आ गया था और अब उस मर्द के Lund को चूस कर उसके साथ की लड़की कड़ा कर रही थी। गुड्डी ने एक बार उनको देखा फ़िर मुझे देखा और फ़िर वो नंगे हीं उस जोड़े की तरफ़ बढ़ गई। उसको पास आता देख वो लड़की सकपकाई और Lund को अपने मुँह से बाहर करके एक तरफ़ हट गई।

गुड्डी वहीं सीट के पास अपने घुटनों पर बैठी और उस अनजाने मर्द के काले-कलुटे Lund अपने मुँह में ले कर चुसने लगी। मेरी अब फ़िर से फ़तणे लगी थी, ये रंडी साली अब क्या करने लगी। मैं अब वहाँ से जल्दी से जल्दी भागना चाहता था। पर गुड्डी ने उस लड़की को मेरी तरफ़ इशारा कर दिया और मुझसे बोली, “अपना Lund भी इस लड़की से चुसवाओ और कड़ा करो, फ़िर एक आखिरी बार मुझे चोद देना”।

मेरे पास कोई चारा था नहीं सो मैं भी अब उनकी तरफ़ बढ़ा और वो लड़की सब समझ कर मेरे Lund को अपने मुँह में ले ली। यह लड़की अभी तक ब्लाऊज पहने हुए थी, और साया भी ठीक से बदन पर था। दो मिनट के बाद हीं गुड्डी वहीँ नीचे पीठ के बल लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया। उस मर्द ने भी अपनी वाली लड़की के सर पर चपत लगा कर अपनी तरफ़ बुलाया और फ़िर उसके साया के डोरी को खींच कर खोल दिया।

अब बर्थ पर वो लड़की और नीचे गुड्डी दोनों साथ-साथ चुद रहीं थीं। भाषा में फ़र्क के बाद भी दोनों चुद रहीं उत्तर और दक्षिण भारतीय लड़कियों में मुँह से एक हीं किस्म की सिसकी निकल रही थी। आह्ह्ह आअह्ह्ह की दो आवाजों ने सामने की बर्थ पर सोए एक अंकल जी की नींद खोल दी।

उस बुढ़े ने जब देखा कि जो जवान जोड़ा चुदाई में मस्त है तो तमिल मिले अंग्रेजी में बड़बड़ाया, “३-४ दिन सब्र नहीं होता है, इतनी गर्मी अब के जवानों को चढ़ती है कि बिना जगह समय देखे शुरु हो जाते हैं”, फ़िर उठ कर पेशाब करने चला गया।

हम सब को अब इस सब बात से कोई फ़र्क तो पड़ना नहीं था। हमारा चुदाई का कार्यक्रम चलता रहा। उसके वापस आने तक हम दोनों मर्द अपनी-अपनी लड़की की chut में खलास हो गए। पहले उस जोड़े का खेल खत्म हुआ और जब तक वो सब अपना कपड़ा ठीक करते मैं भी गुड्डी मी chut में झड़ गया था, आज तीसरी बार झड़ने के बाद अब मेरे में दम नहीं बचा था अभी।

मैं गुड्डी के ऊअप्र से हटा तो वो भी उठी और फ़िर उस लड़की का मुँह चूम कर बाए बोली और फ़िर अपने चूत में मेरे माल को भर कर फ़िर अपने सीट पर आई और फ़िर मम्मी वाले रुमाल में हीं अपना chut पोछी। उस रुमाल का chutा हाल था। फ़िर वहीं नीचे ही अपने कपड़े पहने, अपने मम्मी-पापा के बीच में खड़ा हो कर। रात के २:३० बज चूके थे। सो मैंने कहा कि अब कुछ समय सो लिया जाए।

ट्रेन थोड़ा लेट है तो हम लोग को कुछ आराम का मौका मिल जाएगा। फ़िर मैं अपनी बहन स्वीटी के साथ लिपट कर सो गया और वो सामने के बर्थ पर करवट बदल कर लेट गई। ट्रेन पहले हीं लेट थी अब शायद रात में और लेट हो गई और करीब ६ बजे जब मैं जागा तो देखा कि गुड्डी के मम्मी-पापा उठे हुए हैं और अपना कपड़ा वगैरह भी ठीक कर चुके हैं। मैं भी ऊठा तो प्रीतम जी बोले, “अभी करीब दो घन्टे और लगेगा।

आप आराम से तैयार हो लीजिए।” मैं टायलेट से हो कर आया तो स्वीटी आराम से जगह मिलने पर पसर कर सो गई थी और स्वीटी की नंगी गोरी जाँघ पर प्रीतम जी की नजर जमी हुई थी और उनकी बीबी टायलेट के बाहर के आईने में अपना बाल ठीक कर रही थी कंघी ले कर। मुझे यह देख कर मजा आया। मैंने स्वीटी की उसी नंगी जाँघ को प्रीतम जी के देखते-देखते पकड़ा को जोर से हिलाया, “स्वीटी, उठो अब देर हो जाएगा।”

स्वीटी भी हड़बड़ा कर उठी और और मैंने इशारा किया कि वो साईड वाले रास्ते की तर्ह बनी सीढ़ी के बजाए दोनों सीट के बीच में मेरे सहारे उतर जाए। मैंने अपने बाँह को ऐसे फ़ैला दिया जैसे मैं उसको सहारा दे रहा होऊँ। उसने भी आराम से अपने पैर पहले नीचे लटकाए। प्रीतम जी सामने की सीट पर बैठे थे और सब दे ख रहे थे।

स्वीटी के ऐसे पैर लटकाने से उसकी नाईटी पूरा उपर उठ गई और अब उसकी दोनों जाँघ खुब उपर तक प्रीतम जी को दिख रही थी। मैंनें स्वीटी को इशारा किया और वो धप्प से मेरे गोदी में कुद गई। उसकी चुतड़ को मैंने अपने बाहों में जकड़ लिया था और धीरे से उसको नीचे उतार दिया। मेरे बदन से उसकी नाईटी दबी और उसके पूरे सपाट पेट तक का भी दर्शन प्रीतम जी को हो गए।

स्वीटी तो पहले ही दिन बिना ब्रा-पैन्टी सोई थी तो आज की रात क्यों अपने अंडर्गार्मेन्ट्स पहनती। मैंने देखा कि प्रीतम जी की गोल-गोल आँख मेरी बहन की मक्खन जैसी नंगी chut से चिपक गई थी एक क्षण के लिए, तो मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “स्वीटी, अब जल्दी से आओ और अपना कपड़ा सब ठीक से पहनो अब दिन हो गया है

और मैंने प्रीतम जी से नजर मिलाया।” बेचारा शर्म से झेंप गया। स्वीती भी अब अपने बालों को संभालते हुए टायलेट चली गई और मैं प्रीतम जी से बोला, “देख रहे हैं, इतने बड़ी हो गई है और बचपना नहीं गया है इसका, पता नहीं यहाँ अकेले कैसे रहेगी।” प्रीतम जी हीं झेंपते हुए बोले, “हाँ सो तो है, गुड्डी भी ऐसी ही है… नहा लेगी और सिर्फ़ पैन्ट पहन कर ऐसे ही खुले बदन घुमने लगेगी कि अपने घर में क्या शर्म…, अब बताईए जरा इस सब को…

खैर सब सीख जाएगी अब जब अकेले रहना होगा।” हमारी बात-चीत से गुड्डी भी उठ गई और वो भी देखी कि अब रोशनी हो गया है तो नीचे आ गई। आधे घन्टे में हम सब उतरने को तैयार हो गए और करीब ७ बजे ट्रेन स्टेशन पर आ गई। हम सब साथ हीं स्टेशन के पास के एक होटल में रूम लिए, दोनों परिवार ने एक-एक रूम बुक किया। प्रीतम जी का वापसी का टिकट दो दिन बाद का था और मेरा तीन दिन बाद का। खैर करीब दो घन्टे बाद ९.३० बजे हम सब कौलेज के लिए निकल गए।

उस दिन हम सब खुब बीजी रहे, दोनों बच्चियों का नाम लिखवाया गया फ़िर करीब ४ बजे उन दोनों को एक हीं होस्टल रुम दिलवा कर हम सब चैन में आए। इसके बाद हमने साथ हीं एक जगह खाना खाया और फ़िर शाम में एक मौल में घुमे, और करीब ९ बजे थक कर चूर होटल में आए। सब थके हुए थे सो अपने-अपने कमरे में सो रहे। हालाँकि मैं स्वीटी के साथ हीं बिस्तर पर था बन्द कमरे में पर थकान ऐसी थी कि उसको छूने तक का मन नहीं था।

वही हाल उसका था सो आराम से सोए। रात १० बजे से करीब ६ बजे सुबह तक एक लगातार सोने के बाद मेरी नींद खुली, देखा स्वीटी बाथरूम से निकल कर आ रही हैं। मुझे जागे हुए देखा तो वो सीधे मेरे बदन पर हीं गिरी और मुझसे लिपट गई। मुझे भी पेशाब लग रही थी तो मैंने उसको एक तरफ़ हटाया और बोला, “रूको, पेशाब करके आने दो…”। मुझे बाथरूम में ही लगा कि स्वीटी ने कमरे की बत्ती जला दी है।

मैं जब लौटा तो देखा कि मेरी १८ साल की जवान बहन स्वीटी पूरी तरह से नंगी हो कर अपने पैर और हाथ दोनों को फ़ैला कर बिस्तर पर सेक्सी अंदाज में बिछी हुई है। अब कुछ न समझना था और ना हीं सोचना। सब समझ में आ रहा था सो मैं भी अपने गंजी और पैन्ट को खोल कर पूरी तरह से नंगा हो कर बिस्तर की ओर बढ़ा।

मेरी बहन अब अपने केहुनी के सहारे थोड़ा उठ कर मेरे नंगे बदन को निहार रही थी। ५’१० का मेरा साँवला बदन दो ट्युब-लाईट की रोशनी में दमक रहा था। मैं बोला, “क्या देख रही हो ऐसे, बेशर्म की तरह…” स्वीटी बोली, “बहुत हैंडसम हैं भैया आप, भाभी की तो चाँदी हो जाएगी”। मैं भी उसको अपने बाहों में समेटते हुए बोला, “भाभी जब आएगी तब देखा जाएगा, अभी तो तुम्हारी चाँदी हो गई है… बेशर्म कहीं की।

” स्वीटी ने मेरे छाती में अपना मुँह घुसाते हुए कहा, “सब आपके कारण हीं हुआ है… आपके लिए तो बचपन से हम रंडी बनने के लिए बेचैन थे, अब रहा नहीं जा रहा था। सो ट्रेन में साथ सटने का मौका मिला तो हम भी रिस्क उठा लिए।”

मैंने उसकी नन्हीं-नन्हीं चूचियों को मसलते हुए कहा, “मेरे लिए…. पहले से अपना chut का सील तुड़वा ली और बात बना रही है…. अच्छा बताओ न अब मेरी गुड़िया, किसके साथ करवाई थी पहले, कौन सील तोड़ा तुम्हारा?” अब स्वीटी मेरे से नजर मिला कर बोली, “कोई नहीं भैया, अपने से ४ बार कोशिश करके खीरा से अपना सील तोड़ी थी, एक सप्ताह पहले। जब पक्का हो गया कि अब घर से बाहर होस्टल में जाने को मिल जाएगा

तब अपने से सील तोड़ी काहे कि मेरी दोस्त सब बोली कि अगर कहीं बाहर मौका मिला सेक्स का और ऐसे-वैसे जगह पर चुदाना पर गया या फ़िर परेशानी ज्यादा हुई तब क्या होगा… घर पर तो जो दर्द होगा घर के आराम में सब सह लोगी सो सील तोड़ लो। इसीलिए, रोशनी के घर पर पिछले मंगल को गई थी तो उसी के रूम में खीरा घुसवा ली उसी से। अपने से ३ बार घुसाने का कोशिश की पर दर्द से हिम्मत नहीं हुआ।

फ़िर रोशनी हीं खीरा मेरे हाथ से छीन कर हमको लिटा कर घुसा दी। दिन में उसका घर खाली रहता है सो कोई परेशानी नहीं हुई। इसके बाद वही गर्म पानी ला कर सेंक दी। फ़िर करीब दो घन्टे आराम करने के बाद सब ठीक होने के बाद मोमबत्ती से रोशनी हमको १२-१५ मिनट चोदी तब जा कर हमको समझ में सब आ गया और हिम्मत भी कि अब सब ठीक रहेगा।” मेरा Lund तो यह सब सुन कर हीं झड़ गया।

मेरे उस मुर्झाए Lund को देख वो अचम्भित थी तो मैंने उसको चुसने को बोला। वो झुकी और चुसने लगी मैं भी उसको अपने तरह घुमा लिया और हम दोनो ६९ में लग गए। स्वीटी मेरा Lund चूस रही थी और मैं उसका chut जिसमें से अभी भी पेशाब का गन्ध आ रहा था और जवान लड़की की chut कैसी भी हो Lund को लहरा देती है।

२ मिनट में Lund टनटना गया तो मैंने उसको बिस्तर पर सीधा बिछा कर उसके उपर चढ़ गया और लगा उसकी कसी chut की चूदाई करने। वो अब मजे से कराह रही थी… यहाँ कोई डर-भय था नहीं, कोई न देखने वाला न सुनने वाला सो आज वो बहुत जोश में थी और पूरा सहयोग कर रहे थी। मैं भी अपनी सगी बहन की चुदाई खुब मन से मजे ले लेकर करने में मशगुल था। वो अचानक जोर से काँपी और निढ़ाल सी शान्त हो गई।

मैं समझ गया कि उसको मजा आ चुका है। मेरे पूछने पर वो बोली, “हाँ भैया अब हो गया अब छोड़ दीजिए

हमको…प्लीज।” उसकी आवाज मस्ती से काँप रही थी। मैंने भी उसको पकड़ कर अब तेज और जोर के धक्के लगाए,

वो अब नीचे छटपटाने लगी थी। मैं बिना रिआयत किए उसकी चुदाई किए जा रहा था। बेचारी रो पड़ी कि मेरा भी पानी छुटने को हुआ तो मैंने अपना Lund बाहर खींचा और उसकी chut से निकलते-निकलते झड़ गया। गनीमत थी कि मेरा वीर्य उसकी chut के बाहर होने के बाद निकला वर्ना मामला सेकेण्ड भर का भी नहीं था। वो घबड़ा गई थी, और रो दी थी, फ़िर मैंने उसको समझाया कि परेशानी की कोई बात नहीं है।

एक बूँद भी भीतर नहीं निकला है, तब कहीं जा कर वो शान्त हुई… आखिर वो मेरी बहन थी और मैं उसका भाई…। मैंने उसके पेट पर से सब कुछ साफ़ किया। वो अब शान्त हो गई थी, मैंने उसको प्यार से होठों पर चूमा, वो अब भी थोड़ा सीरियस थी उसको लग रहा था कि मैंने अपना माल का कुछ हिस्सा उसकी chut की भीतर गिरा दिया है, हालाँकि ऐसा हुआ नहीं था। अब जब वो शान्त थी तो मैं यही सब उसको समझाने में लगा हुआ था।

मैंने उसको अब कहा, “देखो स्वीटी, तुम मेरी बहन हो इस लिए यह सब तो किसी हाल में मेरे से होगा ही नहीं कि तुम्हारे बदन के भीतर मेरा निकल जाए… अब बेफ़िक्र हो जाओ और खुश हो जाओ, नहीं तो हम तुमको जोर से गुदगुदी कर देंगे”, कहते हुए मैंने उसके बगलों में अपनी ऊँगली चलाई।

वो भी यह देख कर थोड़ा हँसी… और माहौल हल्का हुआ तो मुझे लगा कि अब एक बार और उसको चोदें। मैंने मजाक करते हुए कहा, “लड़की हँसी… तो फ़ँसी, जानती हो ना, और तुम अब हँस रही हो… समझ लो, मेरे से फ़ँस जाओगी।” वो भी मेरी बात सुन कर मुस्कुराई, तो मैंने उसके चेहरे को अपने हाथों के बीच ले कर अपने होठ उसके होठों पर रख दिए। अब वो भी मेरे चुम्मा का जवाब देने लगी थी, मैंने अपने जीभ को उसके मुँह के भीतर घुसा दिया और बोला, “अब एक बार गाँड़ मराओगी मेरी जान…?” वो तुरन्त बिदकी…”नहींहींईईई… हरगीज नहीं, जो कर रहें है

आपके साथ उससे संतोष नहीं है क्या आपको?” मैंने बात संभाली, “नहीं मेरी रानी, तुम तो हमको खरीद ली इतना प्यार दे करके”, और अब मैं उसके चूचियों को चुसने चाटने लगा था। उसका गुलाबी निप्पल एकदम से कड़ा हो कर उभर गया था। वो बोली, “बस आज भर हीं इसके बाद यह सब बन्द हो जाएगा, फ़िर कभी आप इसका जिक नहीं कीजिएगा… नहीं तो फ़िर हमको बहुत शर्म आएगा। अब से फ़िर वही पहले वाला भैया और स्वीटी बन जाना है। अभी बहुत मुश्किल पढ़ाई करना है आगे। इसलिए आज-भर यह सब कर लीजिए जितना मन हो, फ़िर मत कहिएगा

कि हम आपको ठीक से प्यार नहीं दिए”, और उसने मेरा मुँह हल्के से चूम लिया। मैंने देखा कि अब एक बार फ़िर उस पर पढ़ाई का भूत चढ़ने लगा था, सो एक तरह से अच्छा ही था। मैंने भी कहा, “ठीक ही है, अभी मेरे पास है न २४ घन्टा… फ़िर ठीक है” और मैंने उसको बिस्तर पर सीधा लिटा दिया, वो समझ गई। मैं अब उसकी chut पर अपना होठ चिपका कर चूसने लगा था। उसकी साँस तेज होने लगी थी।

मैं अब उसके chut के भीतर जहाँ तक जीभ घुसा सकता था घुसा कर खुब मन से अपनी छॊटी बहन की chut का स्वाद लेने में मगन था। वो इइइइस्स्स्स इइइइस्स्स्स कर रही थी, अपने सर को कभी दाएँ तो कभी बाएँ घुमा रही थी। मुझे पता चल रहा था कि उस पर चुदास चढ़ गया है।

मैंने अपनी बहन से कहा, “पलट कर झुको न मेरी जान, पीछे से चोदेंगे अब तुमको…बहुत मजा आएगा।” उसको कुछ ठीक से समझ में नहीं आया, वो पीछे मतलब समझी कि मैं उसकी गाँड़ मारने की बात कर रहा हूँ। वो तुरन्त बिदकी, “नहींईईई… पीछे नही, प्लीज भैया।” मैंने उसको समझाया, “धत्त पगली…, पीछे से तुम्हारा chut हीं चोदेंगे। कभी देखी नहीं हो क्या सड़क पर कैसे कुत्ता सब कुतिया को चोदता है बरसात के अंत में.., वैसे ही पीछे से तुमको चोदेंगे।” वो अब सब समझी और बोली, “ओह, मतलब अब आप अपनी बहन को कुतिया बना दीजिएगा…

हम तो पहले से आपके लिए रंडी बने हुए हैं।” मैंने उसको ठीक से पलट कर पलंग के सिरहाने पर हाथ टिका कर बिस्तर पर हीं झुका दिया, और फ़िर उसके पीछे आ कर उसके chut की फ़ाँक जो अब थोड़ा पास-पास हो कर सटी हुई लगने लगी थी उसको खोल कर सूँघा और फ़िर चातने लगा। उसको उम्मीद थी कि मेरा Lund घुसेगा, पर मेरी जीभ महसूस करके बोली, “भैया अब चोद लीजिए जल्दी से पेशाब, पैखाना दोनों लग रहा है… सुबह हो गया है।” मुझे भी लगा कि हाँ यार अब सब जल्दी निपटा लेना चाहिए, सवा सात होने को आया था।

मैं अब ठीक से उसके पीछे घुटने के बल बैठा और फ़िर अपना Lund के सामने वाले हिस्से पर अपना थूक लगाया और फ़िर उसकी chut की फ़ाँक पर भीरा कर बोला, “जय हो…, मेरी कुत्तिया, मजे कर अब…” और धीरे से Lund को भीतर ठेलने लगा। इस तरह से chut थोड़ा कस गया था, वो अपना घुटना भी पास-पास रखी थी बोली, “ऊओह भैया, बहुत रगड़ा रहा है चमड़ा ऐसे ठीक नहीं हो रहा है”, और वो उठना चाही। मैंने उसका इरादा भाँप लिया और उसको अपने हाथ से जकड़ दिया कि वो चूट ना सके और एक हीं धक्के में उसकी chut में पूरा ७” ठोक दिया भीतर। हल्के से वो चीखी…. पर जब तक वो कुछ समझे, उसकी चुदाई शुरु हो गई। मैंने उसको सामने के आईने में देखने को कहा जो बिस्तर के सिरहाने में लगा हुआ था। जब देखी तो दिखा उसका नंगा बदन, और उस पर पीछे से चिपका मेरा नंगा बदन…,

उसकी पहली प्रतिक्रिया हुई, “छी: कितना गंदा लग रहा है… हटिए, हम अब यह नहीं करेंगे।” मैंने कहा, “अब कहाँ से रानी…. अब तो आराम से चूदो। लड़की को ऐसे निहूरा कर पीछे से चोदने का जो मजा है उसके लिए लड़का लोग कुछ भी करेगा।”

वो आआह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह कर रही थी और मस्ती से चूद भी रही थी, बोली “आप लड़का हैं कि भिअया हैं मेरे….?” मैंने बोला, “भैया और सैंया में बस हल्के से मात्रा का फ़र्क है, थोड़ा ठीक से पूकारो जान।” वो चूदाई से गर्मा गई थी, बोली, “हाँ रे मेरे बहनचोद….भैया, अब तो तुम मेरा सैयां हो ही गया है और हम तुम्हारी सजनी.. इइइस्स .आआह्ह्ह, इइस्स्स्स उउउउउउउ आआह्ह्ह्ह्ह भैया बहुत मजा आ रहा है और अपना सिर नीचे झुका कर तकिए पर टिका ली।

उसका कमर अब ऊपर ऊठ गया था और मुझे भी अपने को थोड़ा सा घुटने से ऊपर उठाना पड़ा ताकि सही तरीके से जड़ तक उसकी chut को Lund से मथ सकूँ। उसके chut में से फ़च फ़च, फ़च फ़च आवाज निकल रहा था। chut पूरा से पनिआया हुआ था। मेरे जाँघ के उसके चुतड़ पर होने वाले टक्कर से थप-थप की आवाज अलग निकल रही थी। मैं बोला, “तुम्हारा chut कैसे फ़च-फ़च बोल रहा है सुन रही हो…”, वो हाँफ़ते हुए जवाब दी,

“सब सुन रहे हैं… कैसा कैसा आवाज हो रहा है, कितना आवाज कर रहे हैं बाहर भी सुनाई दे रहा होगा।” मैंने कहा, “तो क्या हुआ, जवान लड़का-लड़की रूम में हैं तो यह सब आवाज होगा हीं…” और तभी मुझे लगा कि अब मैं खलास होने वाला हूँ, सो मैंने कहा, ” अब मेरा निकलेगा, सो अब हम बाहर खींच रहे हैं तुम जल्दी से सीधा लेट जाना तुम्हारे ऊपर हीं निकालेगें, जैसे ब्लू फ़िल्म की हीरोईन सब निकलवाती है वैसे ही।” मेरे Lund को बाहर खीचते हीं पिचकारी छुटने को हो आया, तो मैं उसको बोला, “मुँह खोल कुतिया जल्दी से…

” बिना कुछ समझे वो अपना मुँह खोली और मैंने अपना Lund उसकी मुँह में घुसेड़ दिया औरुसके सर को जोर से अपने Lund पर दबा दिया। वो अपना मुँह से Lund निकालने के लिए छ्टपटाई… पर मेरे जकड़ से नहीं छूट सकी और इसी बीच मेरे Lund ने झटका दिया और माल स्वीटी की मुँह के अंदर, एक के बाद एक कुल पाँच झटके, और करीब दो बड़ा चम्मच माल उसके मुँह को भर दिया और कुछ अब बाहर भी बह चला।

स्वीटी के न चाहते हुए भी कुछ माल तो उसके पेट में चला हीं गया था। मैं अब पूरी तरह से संतुष्ट था। स्वीटी अब फ़िर अजीब सा मुँह बना रही थी… फ़िर आखिर में समझ गई कि क्या हुआ है तो उसके बाद बड़े नाज के साथ बोली, “हरामी कहीं के….एक जरा सा दया नहीं आया, बहन को पूरा रंडी बना दिए…. बेशर्म कहीं के, हटो अब…” और एक तौलिया ले कर बाथरुम की तरफ़ चली गई। मुझे लगा कि वो नाराज हो गई है मेरे इस आखिरी बदमाशी से, पर ठीक बाथरूम के दरवाजे पर जा कर वो मुड़ी और मुझे एक फ़्लाईंग किस देते हुए दरवाजा बन्द कर ली।

करीब २० मिनट के बाद स्वीटी नहा कर बाहर आई, तौलिया उसके सर पर लिपटा हुआ था और वो पूरी नंगी हीं बाहर आई और फ़िर मुझे बोली, “अब जाइए और आप भी जल्दी तैयार हो जाइए, कितना देर हो गया है, गुड्डी अब आती होगी, आज तो अंकल-आँटी के लौटने का दिन है।” मैं उठा और बाथरूम की तरफ़ जाते हुए कहा, “हाँ ७ बजे शाम की ट्रेन है।” स्वीटी तब अपने बाल को तौलिए से सुखा रही थी। करीब ९ बजे हम दोनों तैयार हो कर कमरे से बाहर निकले, तब तक प्रीतम जी का परिवार भी तैयार हो गया था।

गुड्डी उसी मंजिल पर एक और बंगाली परिवार टिका हुआ था उसी परिवार की एक लड़की से बात कर रही थी। उसको अगले साल बरहवीं की परीक्षा देनी थी और वो लड़की गुड्डी से इंजीनियरींग के नामाकंन प्रक्रिया के बारे में समझ रही थी। हम सब फ़िर साथ हीं नास्ता करके फ़िर घुमने का प्रोग्राम बना कर एक टैक्सी ले कर निकल गए। दिन भर में हम पहले एक प्रसिद्ध मंदिर गए और फ़िर एक मौल में चले गए। सब लोग कुछ=कुछ खरीदारी करने लगे।

दोनों लड़कियों ने एक-एक जीन्स पैन्ट खरीदी और फ़िर एक ब्रैन्डेड अंडर्गार्मेन्ट्स की दुकान में चली गई। हम सब अब बाहर हीं रूक गए। फ़िर हम सब ने वहीं दिन का लंच लिया और फ़िर करीब ४ बजे होटल लौट आए। आज शाम ७ बजे प्रीतम जी और उनकी पत्नी लौट रहे थे, मेरा टिकट कल का था। थोड़ी देर में गुड्डी हमारे कमरे में आई और एक छोटा सा बैग रख गई जो उसका था और साथ में हम दोनों को बताई कि उसका इरादा आज होस्टल जाने का नहीं है। आज रात वो हमारे साथ रुकने वाली है और फ़िर कल दोनों सखियाँ साथ में हीं होस्टल जाएँगी।

मेरी समझ में आ गया कि अब आज रात मेरा क्या होने वाला था। बस एक हीं हौसला था कि स्वीटी समझदार है और वो मुझे अब परेशान नहीं करेगी। वैसे भी उसका इरादा अब क्यादा सेक्स करने का नहीं था। ६ बजे के करीब हम सब स्टेशन आ आ गए और फ़िर प्रीतम जी को ट्रेन पर चढ़ा दिया। वो और उनकी बीवी अपनी बेटी को हजारों बात समझा रहे थे, पर मुझे पता था कि उसको कितना बात मानना था। खैर ठीक समय से ट्रेन खुल गई और हम सब वापस चल दिए।

रास्ते में हीं हमने रात का खाना भी खाया। वहीं खाना खाते समय हीं गुड्डी ने अपना इरादा जाहिर कर दिया, “आज रात सोने के पहले तीन बार सेक्स करना होगा मेरे साथ, मैं देख चुकी हूँ कि तुमको लगातार तीन बार करने के बाद भी कोई परेशानी नहीं होती है।” फ़िर उसने स्वीटी से कहा, “क्यो स्वीटी, तुम्हें परेशानी नहीं न है अगर मैं आज रात मैं तुम्हारे भैया के साथ सेक्स कर लूँ”। स्वीटी का जवाब मेरे अंदाजे के हिसाब से सही थी, “नहीं, हम तो जितना करना था कर लिए, अब भैया जाने तुम्हारे साथ के बारे में।” ९.३० बजे हम लोग अपने कमरे पर आ गए। और आने के बाद स्वीटी ड्रेस बदलने लगी पर गुड्डी आराम से अपने कपड़ी उतारने लगी और मुझे कहा कि मैं अभी रूकूँ।

गुड्डी ने आज गुलाबी सलवार सूट पहना हुआ था। पूरी तरह से नंगी होने के बाद उसका गोरा बदन उस कमरे की जगमगाती रोशनी में दमक रहा था। काली घुँघराली झाँट उसकी chut की खुबसूरती में चार चाँद लगा रही थी। वो आराम से नंगे हीं मेरे पास आई और फ़िर मेरे टी-शर्ट फ़िर गंजी और इसके बाद मेरा जीन्स उतार दिया। फ़िर जमीन पर घुटनों के सहारे बैठ गई और मेरा फ़्रेन्ची नीचे सरार कर मुझे भी नंगा कर दिया। स्वीटी भी अब बाथरूम से आ गयी थी और विस्तर पर बैठ कर हम दोनों को देख रही थी, “तुमको भी न गुड्डी, जरा भी सब्र नहीं हुआ…”।

गुड्डी ने उसको जवाब दिया, “अरे अब सब्र का क्या करना है, तीन बार सेक्स करने में बारह बज जाएगा, अभी से शुरु करेंगे तब… फ़िर सोना भी तो है। दिन भर घुम घाम कर इतना थक गई हूँ।” स्वीटी बोली, “वही तो मेरा तो अभी जरा भी मूड नहीं है इस सब के लिए….”।

गुड्डी मेरा Lund चूसना शुरु कर दी थी। मैंने कहा, “तुम लोग थक गई और मेरे बारे में कुछ विचार नहीं है…”, गुड्डी बोली, “ज्यादा बात मत बनाओ मुफ़्त में दो माल मिल गई है मारने के लिए तो स्टाईल मार रहे हो… नहीं तो हमारी जैसी को चोदने के लिए दस साल लाईन मारते तब भी मैं लाईन नहीं देती, क्यों स्वीटी…?” फ़िर हम सब हँसने लगे और मैंने गुड्डी के चेहरे को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसको जमीन से उठाया और फ़िर उसके होठ को चुमते हुए उसको बिस्तर पर ले आया। स्वीटी एक तरफ़ खिसक गई तो मैंने गुड्डी को वही लिटा दिया

और फ़िर उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी chut पर अपना मुँह भिरा दिया। झाँट को चाट-चाट कर गिला कर दिया और फ़िर उसके जाँघों को फ़ैला कर उसकी chut के भीतर जीभ ठेल कर नमकीन चिपचिपे पानी का मजा लिया। उसकी सिसकी निकलनी शुरु हो गई तो मैं उठा और फ़िर उसके जाँघ के बीच बैठ कर अपने खड़े Lund को उसकी फ़ाँक पर लगा कर दबा दिया। इइइइइइइस्स्स्स की आवाज उसके मुँह से निकली और मेरा ८” का Lund उसकी chut के भीतर फ़िट हो गया था। मैंने झुक कर उसके होठ से होठ भिरा दिए और फ़िर अपनी कमर चलानी शुरु कर दी।

वो अब मस्त हो कर चूद रही थी और बगल में बैठी मेरी बहन सब देख रही थी। मेरी जब स्वीटी से नजर मिली तो उसने कहा, “इस ट्रिप पर आपकी तो लौटरी निकल आई है भैया, कहाँ तो सिर्फ़ मेरा हीं मिलने वाला था, वो भी अगर आप हिम्मत करते तब, और कहाँ यह गुड्डी मिल गई है जो लगता है सिर्फ़ सेक्स के लिए हीं बनी है।” मैं थोड़ा झेंपा, पर बात सच थी। मैंने उसकी परवाह छोड़ कर गुड्डी की चुदाई जारी रखी। आअह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह आह्ह्ह आह्ह्ह्ह…हुम्म्म हुम्म्म हुम्म्म… हम दोनों अब पूरे मन से सिर्फ़ और सिर्फ़ एक दूसरे के बदन का सुख भोगने में लगे हुए थे।

करीब १० मिनट की धक्कम-पेल के बाद मैं खलास होने के करीब आ गया, मैंने अपना Lund बाहर खींच लिया। गुड्डी भी शायद समझ गई थी फ़िर वो बोली, “अरे निकाले क्यों मेरे भीतर हीं गिरा लेते, अभी तो आज तक कोई डर नहीं है आज तो तीसरा दिन ही है… खैर मेरे मुँह में गिराओ… आओ” और उसने अपना मुँह खोल दिया तो मैं अपना Lund उसके मुँह में दे दिया। वो अब अपना मुँह को थोड़ा जोर से Lund पर दाब कर आगे-पीछे करने लगी तो लगा जैसे म्रेरे Lund का मूठ मारा जा रहा है। साली जब की चीज थी… बेहतरीन थी सेक्स करने में।

८-१० बार में हीं पिचकारी छूट गया और वो आराम से शान्त हो कर मुँह खोल कर सब माल मुँह में ले कर निगल गई। एक बूँद बेकार नहीं हुआ। स्वीटी यह सब देख कर बोली, “छी: कैसे तुम यह सब खा लेती हो, गन्दी कहीं की…”। गुड्डी हँसते हुए बोली, “जब एक बार चस्का लग जाएगा तब समझ में आएगा, पहली बार तो मैगी का स्वाद भी खराब हीं लगता है सब को। अब थोड़ा आराम कर लो…” कहते हुए वो उठी और पानी पीने चली गई। मुझे पेशाब महसूस हुआ तो मैं भी बिस्तर से उठा तो वो बोली, “किधर चले, अभी दो राऊन्ड बाकि है…”। मैं बोला, “आ रहा हूँ, पेशाब करके…” तब वो बोली मैं भी चल रही हूँ। हम दोनों साथ साथ हीम एक-दूसरे के सामने दिखा कर पेशाब किए।

तभी मैंने गुड्डी से कहा कि एक बार स्वीटी को भी बोलो ना आ कर पेशाब करे, मैं भी तो देखूँ उसके chut से धार कैसे निकलती है।” गुड्डी हँसते हुए बोली, “देखे नही क्या, बहन है तुम्हारी” और फ़िर वहीं से आवाज लगाई, “स्वीटी…ए स्वीटी, जरा इधर तो आओ।” स्वीटी भी यह सुन कर आ गई तो गुड्डी बोली, “जरा एक बार तुम भी पेशाब करके अपने भैया को दिखा दो, बेचारे का बहुत मन है कि देखे कि उसकी बहन कैसे मूतती है।” हमारी चुदाई का खेल देख कर स्वीटी गर्म न हुई हो ऐसा तो हो नहीं सकता था, आखिर जवान माल थी वो।

हँसते हुए वो अपना नाईटी उठाने लगी तो मैं हीं बोला, “पूरा खोल हीं दो न… एक बार तुम्हारे साथ भी सेक्स करने का मन है मेरा और तुम तो सुबह बोली थी कि आज तुम हमको मना नहीं करोगी, जब और जितना बार हम कहेंगे, चुदाओगी।”

स्वीटी ने मुझसे नजरें मिलाई और बोली, “बदमाश…” और फ़िर एक झटके में नाईटी अपने बदन से निकाल दी। ब्रा पहनी नहीं थी सो पैन्टी भी पूरी तरह से निकाल दी और फ़िर टायलेट की सीट पर बैठी, तो मैं बोला, “अब दिखा रही हो तो नीचे जमीन पर बैठ के दिखाओ न, अच्छे से पता चलेगा, नहीं तो कमोड की सीट से क्या समझ में आएगा।” स्वीटी ने फ़िर मेरे आँखों में आँखें डाल कर कहा, “गुन्डा कहीं के…” और जैसा मैं चाह रहा था मेरे सामने नीचे जमीन पर बैठ गई और बोली, “अब पेशाब आएगा तब तो…”

और मेरी नजर उसकी खुली हुई chut की फ़ाँक पर जमी हुई थी। गुड्डी भी सामने खड़ी थी और मैं था कि स्वीटी के ठीक सामने उसी की तरह नीचे बैठा था अपने Lund को पेन्डुलम की तरह से लटकाए। करीब ५ सेकेन्ड ऐसे बैठने के बाद एक हल्की सी सर्सराहट की आवाज के साथ स्वीटी की chut से पेशाब की धार निकले लगी। मेरा रोआँ रोआँ आज अपनी छोटी बहन के ऐसे मूतते देख कर खिल गया। करीब आधा ग्लास पेशाब की होगी मेरी बहन, और तब उसका पेशाब बन्द हुआ तो दो झटके लगा कर उसने अपने chut से अंतिम बूँदों को भी बाहर किया और फ़िर उठते हुए बोली, “अब खुश…”। मैंने उसको गले से लगा लिया, “बहुत ज्यादा…”

और वहीं पर उसको चूमने लगा। मेरा Lund उसकी पेट से चिपका हुआ था। वैसे भी मेरे से लम्बाई में १०” छोटी थी वो। मैंने उसको अपने गोद में उठा लिया और फ़िर उसको ले कर बिस्तर पर आ गया। फ़िर मैंने गुड्डी को देखा जो हमारे पीछे-पीछे आ गई थी तो उसने मुझे इशारा किया को वो इंतजार कर सकती है, मैं अब स्वीटी को चोद लूँ।

मैंने स्वीटी को सीधा लिटा दिया और सीधे उसकी chut पर मुँह रखने के लिए झुका। वो अपने जाँघों को सिकोड़ी, “छी: वहाँ पेशाब लगा हुआ है।” गुड्डी ने अब स्वीटी को नसीहत दिया, “अरे कोई बात नहीं है दुनिया के सब जानवर में मर्दजात को अपनी मादा का chut सूँघने-चाटने के बाद हीं चोदने में मजा आता है। लड़की की chut चाटने के लिए तो ये लोग दंगा कर लेंगे, अगर तुम किसी चौराहे पर अपना chut खोल के लेट जाओ।” मैंने ताकत लगा कर उसका जाँघ फ़ैला दिया और फ़िर उसकी chut से निकल रही पेशाब और जवानी की मिली-जुली गंध का मजा लेते हुए उसकी chut को चूसने लगा। वो तो पहले हीं मेरे और गुड्डी की चुदाई देख कर पनिया गई थी,

सो मुझे उसके chut के भीतर की लिसलिसे पदार्थ का मजा मिलने लगा था। वो भी अब आँख बन्द करके अपनी जवानी का मजा लूटने लगी थी। गुड्डी भी पास बैठ कर स्वीटी की चूची से खेलने लगी और बीच-बीच में उसके निप्पल को चूसने लगती। स्वीटी को यह मजा आज पहली बार मिला था। दो जवान बदन आज उसकी अल्हड़ जवानी को लूट रहे थे। अभी ताजा-ताजा तो बेचारी चूदना शुरु की थी और अभी तक कुल जमा ४ बार चूदी थी और इस पाँचवीं बार में दो बदन उसके जवानी को लूटने में लगे थे।

जल्दी हीं मैंने उसके दोनों पैरों को उपर उठा कर अपने कन्धे पर रख लिया और फ़िर अपना फ़नफ़नाया हुआ Lund उसकी chut से भिरा कर एक हीं धक्के में पूरा भीतर पेल दिया। उसके मुँह से चीख निकल गई। अभी तक बेचारी के भीतर प्यार से धीर-धीरे घुसाया था, आज पहली बार उसकी chut को सही तरीके से पेला था, जैसे किसी रंडी के भीतर Lund पेला जाता है। मैंने उसको धीरे से कहा, “चिल्लाओ मत…आराम से चुदाओ…”। वो बोली, “ओह आप तो ऐसा जोर से भीतर घुसाए कि मत पूछिए…आराम से कीजिए न, भैया…”।

मैंने बोला, “अब क्या आराम से.. इतना चोदा ली और अभी भी आराम से हीं चुदोगी, हम तुम्हारे भाई हैं तो प्यार से कर रहे थे, नहीं तो अब अकेले रहना है, पता नहीं अगला जो मिलेगा वो कैसे तुम्हारी मारेगा। थोड़ा सा मर्दाना झटका भी सहने का आदत डालो अब” और इसके बाद जो खुब तेज… जोरदार चुदाई मैंने शुरु कर दी।

करीब ५ मिनट वैसे चोदने के बाद मैंने उसके पैर को अपने कमर पे लपेट दिया और फ़िर से उसको चोदने लगा। करीब ५ मिनट की यह वाली चुदाई मैंने फ़िर प्यार से आराम से की, और वो भी खुब सहयोग कर के चुदवा रही थी। इसके बाद मैनें उसके दोनों जाँघों के भीतरी भाग को अपने दोनों हाथों से बिस्तर पर दबा दिया और फ़िर उसकी chut में Lund के जोरदार धक्के लगाने शुरु कर दिए। जाँघों के ऐसे दबा देने से उसका chut अपने अधिकतम पर फ़ैल गया था और मेरा Lund उसके भीतर ऐसे आ-जा रहा था जैसे वो कोई पिस्टन हो।

इस तरह से जाँघ दबाने से उसको थोड़ी असुविधा हो रही थी और वो मजा और दर्द दोनों हीं महसूस कर रही थी। वो अब आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह्ह कर तो रही थी, पर आवाज मस्ती और कराह दोनों का मिला-जुला रूप था। मैंने उसके इस असुविधा का बिना कुछ ख्याल किए चोदना जारी रखा और करिब ५ मिनट में झड़ने की स्थिति में आ गया। मेरा दिल कर रहा था कि मैं उसकी chut के भीतर हीं माल निकाल दू~म, पर फ़िर मुझे उसका सुबह वाला चिन्तित चेहरा याद आ गया तो दया आ गई और मैंने अपना Lund बाहर खींचा और उसकी नाभी से सटा कर अपना पानी निकाल दिया।

पूरा एक बड़ा चम्मच निकला था इस बार। मैं थक कर हाँफ़ रहा था और वो भी दर्द से राहत महसूस करके शान्त पड़ गई थी। मैंने पूछा, “तुमको मजा मिला, हम तो इतना जोर-जोर से धक्का लगाने में मशगुल थे कि तुम्हारे बदन का कोई अंदाजा हीं नहीं मिला।” हाँफ़ते हुए उसने कहा, “कब का… और फ़िर बिस्तर पर पलट गई। बिस्तर की सफ़ेद चादर पर दो जगह निशान बन गया, एक तो उसकी chut के ठीक नीचे, क्योंकि जब वो चुद रही थी तब भी उसकी पनियाई chut अपना रस बहा रही थी

और फ़िर जब वो अभी पलटी तो उसके पेट पर निकला मेरा माल भी एक अलग धब्बा बना दिया। मैंने हल्के-हल्के प्यार से उसके चुतड़ों को सहलाना शुरु कर दिया और फ़िर जब मैंने उसकी कमर दबाई तो वो बोली, “बहुत अच्छा लग रहा है, थोड़ा ऐसे हीं दबा दीजिए न…” मैंने उसके चुतड़ों पर चुम्मा लिया और फ़िर उसकी पीठ और कमर को हल्के हाथों से दबा दिया। वो अब फ़िर से ताजा दम हो गई तो उठ बैठी और फ़िर मेरे होठ चूम कर बोली, “थैन्क्स, भैया… बहुत मजा आया।” और बिस्तर से उठ कर कंघी ले कर अपने बाल बनाने लगी जो बिस्तर पर उसके सर के इधर-उधर पटकने के कारण अस्त-व्यस्त हो गए थे।

मैंने अब गुड्डी पर धयान दिया तो देखा कि वो एक तरफ़ जमीन पर बैठ कर हेयर ब्रश की मूठ अपने chut में डाल कर हिला रही है। उसके chut से लेर बह रहा था। उसने मुझे जब फ़्री देखा तो बोली, “चलो अब जल्दी से चोदो मुझे…सवा ११ हो गया है और अभी दो बार मुझे आज चुदाना है तुमसे.”। मैं थक कर निढ़ाल पड़ा हुआ था, Lund भी ढ़ीला हो गया था पर गुड्डी तो साली जैसे चुदाई का मशीन थी।

मेरे एक इशारे पर वो बिस्तर पर चढ़ गई और Lund को मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी। वो अब स्वीती को बोली, “तुम्हारी chut की गन्ध तो बहुत तेज है, अभी तक खट्टा-खट्टा लग रहा है नाक में”। स्वीटी मुस्कुराई, कुछ बोली नहीं बस पास आ कर गुड्डी मी chut पर मुँह रख दी और उसके chut से बह रहे लेर को चातने लगी। स्वीटी का यह नया रूप देख कर, जोरदार चुसाई से Lund में ताव आ गया और जैसे हीं वो कड़ा हुआ, गुड्डी तुरन्त मेरे कमर के दोनों तरफ़ पैर रख कर मेरे कमर पर बैठ गई। अपने दोनों हाथ से अपनी chut की फ़ाँक खोली

और मुझे बोली, “अब अपने हाथ से जरा Lund को सीधा करो कि वो मेरे chut में घुसे।” मैं थका हुआ सा सीधा लेटा हुआ था और मेरे कुछ करने से पहले हीं मेरी बहन स्वीटी ने मेरे खड़े Lund को जड़ से पकड़ कर सीधा कर दिया जिससे गुड्डी उसको अपने chut में निगल कर मेरे उपर बैठ गई।

स्वीटी अब सिर्फ़ देख रही थी और गुड्डी मेरे उपर चढ़ कर मुझे हुमच-हुमच कर चोद रही थी। कभी धीरे तो कभी जोर से उपर-नीचे हो होकर तो कभी मेरे Lund को निगल कर अपनी chut को मेरे झाँटों पर रगड़ कर वो अपने बदन का सुख लेने लगी। मैं अब आराम से नीचे लेटा था और कभी गुड्डी तो कभी स्वीटी को निहार लेता था। करीब १२-१५ मिनट बाद वो थक कर झड़ गई और अब हाँफ़ते हुए मेरे से हटने लगी कि मैंने उसको कमर से पकड़ा

और फ़िर उसको लिए हुए पलट गया। अब वो नीचे और मैं उसके उपर था। वो अब थक कर दूर भागना चाहती थी सो मुझे अब छोड़ने को बोली, पर मैं अभी झड़ा नहीं था और मेरा इरादा अब उसको रगड़ देने का था। मैंने फ़ुर्ती से उसको अपने गिरफ़्त में जकड़ा और फ़िर उपर से उसकी chut को जबर्दस्त धक्के लगाए।

वैसे भी अब तक के आराम से मैं ताजा दम हो गया था। वो अब मेरी जकड़ से छूटने के लिए छटपटाने लगी, पर मैंने अपनी पकड़ ढ़ीली नहीं की। वो अब पूरा दम लगा रही थी और मैं उसको अपने तरीके से चोदे जा रहा था। गुड्डी की बेबसी देख कर स्वीटी ने उसका पक्ष लिया, “अब छोड़ दीजिए बेचारी को, गिड़गिड़ा रही हैं”, गुड्डी लगातार प्लीज, प्लीज, प्लीज… किए जा रही थी। पर सब अनसुना करके मैं थपा थप उपर से जोर जोर से चोद रहा था।

आवाज इतना जोर से हो रहा था कि अगर कोई दरवाजे के बाहर खड़ा होता तो भी उसको सुनाई देता। वैसे मुझे पता था कि अब आज की रात होटल की उस मंजिल पर सिर्फ़ एक वही बंगाली परिवार (मियाँ, बीवी और दो बेटियाँ) टिका हुआ था और उस परिवार से किसी के मेरे दरवाजे के पास होने की संभावना कम हीं थी। हालाँकि पिछले दिन से अब तक दो-चार बार स्वीटी और गुड्डी की थोड़ी-बहुत बात-चित उस परिवार से हुई थी।

करीब ७-८ मिनट तक उपर से जोरदार चुदाई करने के बाद मैं गुड्डी के उपर पूरी तरह से लेट गया। उसका पूरा बदन अब मेरे बदन से दबा हुआ था और मेरा Lund उसकी chut में ठुनकी मार कर झड़ रहा था। गुड्डी कुछ बोलने के लायक नहीं थी। अब मेरे शान्त पड़ने के बाद वो भी शान्त हो कर लम्बी-लम्बी साँस ले रही थी। करीब ३० सेकेन्ड ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं गुड्डी के बदन से हटा, और फ़क्क की आवाज के साथ मेरा काला नाग उसकी गोरी chut से बाहर निकला और पानी के रंग का मेरा सब माल उसकी chut से बह कर बिस्तर पर फ़ैल गया।

आज तो उस होटल के बिस्तर की दुर्दशा बना दी थी हमने। हम सब अब शान्त हो कर अलग अलग लेते हुए थे। थोड़ी देर बाद गुड्डी हीं बोली, “स्वीटी जरा पानी पिलाओ डार्लिन्ग…. तुम्हारा भाई सिर्फ़ देखने में शरीफ़ है, साला हरामी की तरह आज चोदा है मुझे।” स्वीटी ने मुझे और गुड्डी को पानी का एक-एक ग्लास पकड़ाया और बोली, “सच में, हमको उम्मीद नहीं था कि भैया तुमको ऐसे कर देंगे। पूरा मर्दाना ताकत दिखा दिए आज आप उसको नीचे दबाने में।

हम सोच रहे थे कि ऐसे हीं न बलात्कार होता होगा लड़कियों का”। मैंने हँसते हुए कहा, “बलात्कार तो गुड्डी की थी मेरा, मेरे उपर बैठ कर… जब कि मुझे थोड़ा भी दम नहीं लेने दी। अब समझ आ गया कि एक बार अगर Lund भीतर घुसा तो तुम लाख चाहो चोदने में जो एक्स्पर्ट होगा वो तुमको फ़िर निकलने नहीं देगा, जब तक वो तुम्हारी फ़ाड़ न दे।”

इधर-उधर की बातें करने के बाद करीब १२ बजे स्वीटी बोली अब चलिए सोया जाए, बहुत हो गया यह सब। मैंने हँसते हुए गुड्डी को देख कर कहा, “अभी एक बार का बाकी है भाई गुड्डी का….” गुड्डी कुछ बोली नहीं पर स्वीटी बोली, “कुछ नहीं अब सब सोएँगे…” अब जो बचा है कल दिन में कर लीजिएगा। इसके बाद हम सब वैसे हीं नंग-धड़ग सो गए। थकान की वजह से तुरन्त नींद भी आ गई।

मेरी बहन की मैने चुत और गांड की सील एक साथ तोड़ी | bhai bahan ki chudai

माँ की टाईट चुत से मेरे लंड की सील टूट गई | Desi Maa ki chudai

माँ रोते हुवे बोली 😭,प्लीज एक बार लंड को बाहर निकालो | Maa ki chudai kahani

जीजू के मोटे लंड ने मेरी चुत से खुन निकाल दिया 😭 Sali ki xxx chudai

भाभी की चुत 18 साल की लड़की की तरह टाईट थी 😎 Bhabhi ki chudai



error: Content is protected !!